पूर्णिमा की रात ताजमहल में ‘चमकी’ देखने वाले बहुत हैं दीवाने, बिक जाती है पूरी टिकट

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पूर्णिमा की रात ताजमहल में 'चमकी' देखने वाले बहुत हैं दीवाने, बिक जाती है पूरी टिकट

आगरा: चांदनी रात में पूर्णमासी के दिन ताजमहल को चमकते हुए देखना हर पर्यटक की ख्वाहिश होती है. यही वजह है कि इस बार पूर्णमासी के दिन जब एएसआई ने चांदनी रात में ताजमहल दर्शन के टिकट खोले तो सारी टिकट और स्टॉल बिक गए. लेकिन आज से लगभग 25 से 30 साल पहले की व्यवस्था बिल्कुल अलग थी. जब भी पूर्णमासी आती थी तो लोगों में एक शब्द प्रचलित था “चमकी” यानी कि ताजमहल चमकता है. कुछ लोगों का यह भी मानना था की चांदनी रात में ताजमहल एक विशेष एंगल पर चमकता है. लोग इसे चमकी कहते थे और उसी का नजारा देखने के लिए पर्यटक आते हैं.क्या वाकई में ताजमहल चमकता हैइतिहासकार राज किशोर शर्मा अपना अनुभव साझा करते हुए कहते हैं कि 30 साल पहले चांदनी रात में ताजमहल देखने की बिल्कुल अलग व्यवस्थाएं थी. लोग रात के 3:00 बजे तक ताजमहल में रुके थे. पर्यटक वहां स्वतंत्र भाव से जाता था. चांदनी रात में ताजमहल को देखने का नजारा बेहद खूबसूरत होता था. ताजमहल के ऊपर जो मुख्य कमरे हैं पर्यटक वहां पर घंटों बैठते थे. मैं खुद उसमें जाकर अक्सर बैठता था. चमकी वाले दिन ताजमहल पर भारी रौनक होती थी. पूरे शहर में उत्सव जैसा माहौल होता था.ताजमहल के ऊपर चांदनी रात में देखी थी चमक की हल्की सी लहरचमकी को लेकर इतिहासकार राज किशोर शर्मा का मानना है कि ताजमहल चमकता नहीं था लेकिन जब पूर्णिमा के दिन चंद्रमा  सबसे ज्यादा चमकदार होता था तो  विशेष एंगल से उसका प्रकाश ताजमहल के गुम्बद पर पड़ता था. ऐसा लगता था मानो ताजमहल चमक रहा हो. दूधिया सफ़ेद रोशनी में ताजमहल बहुत खूबसूरत लगता था. युवाओं की अच्छी खासी तादाद ताजमहल में रहती थी और इस नजारे को देखकर वह “चमकी” शब्द का इस्तेमाल करते थे. तभी से यह चमकी सबका फेमस हो गया. उन दिनों ताजमहल में प्रवेश करने की टिकट 15 पैसे हुआ करती थी.FIRST PUBLISHED : October 20, 2024, 16:58 IST

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