IIT JEE Story: चाचा की सलाह आई काम, जेईई एग्जाम किया क्रैक, अब इस टॉप कॉलेज से कर रही हैं पढ़ाई 

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IIT JEE Story: चाचा की सलाह आई काम, जेईई एग्जाम किया क्रैक, अब इस टॉप कॉलेज से कर रही हैं पढ़ाई 

JEE Success Story: कभी-कभी जीवन में अपनों का राय इतना बेहतरीन होता है कि भविष्य उज्जवल हो जाता है. ऐसी ही राय एक लड़की को उनके चाचा द्वारा मिली थी. इसके बाद वह सपनों की उड़ान भरने लगी. जब वह कक्षा 9वीं में थी, तब उनके चाचा ने उन्हें आईआईटी और जेईई परीक्षाओं के बारे में बताया, जिससे इंजीनियरिंग में बेहतर करने की महत्वाकांक्षा को पंख मिल गई. उस समय तक उनकी पढ़ाई स्कूल के पाठ्यक्रम तक सीमित थी, लेकिन चाचा के मार्गदर्शन ने उनकी सोच का दायरा बढ़ा दिया. हम जिनकी बात कर रहे हैं, उनका नाम पलक विश्वकर्मा (Palak Vishwakarma) है.

पहली बार में मिली असफलतापलक विश्वकर्मा (Palak Vishwakarma) उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के बदलापुर की रहने वाली हैं. वह गांव में पली-बढ़ी और उनका झुकाव बचपन से ही गणित की ओर था. पलक ने वर्ष 2022 में जेईई के पहले प्रयास में मनचाहा रिजल्ट नहीं मिल सका, लेकिन इस असफलता ने उसे और मजबूत बनाया. उन्होंने एक साल का ब्रेक लेकर दोबारा कोशिश करने का साहसिक निर्णय लिया. परिवार की चिंताओं और दोहराने वाले छात्रों के कम सफल होने की धारणा के बावजूद उन्हें अपने लक्ष्य पर भरोसा था. परिवार के समर्थन और आत्मविश्वास के साथ उन्होंने जी-जान से तैयारी की, जिसका रिजल्ट उन्हें आईआईटी बॉम्बे के रूप में मिला.

सिविल इंजीनियरिंग में लिया दाखिलाजेईई एडवांस के बाद पलक (Palak Vishwakarma) ने मुंबई घूमने का मन बनाया, जो एक छोटी छुट्टी से शुरू होकर छह महीने की यात्रा में बदल गई. रिजल्ट आने के बाद जब IIT बॉम्बे में दाखिले की संभावना सामने आई, तो यह यात्रा असल में एक नए जीवन की शुरुआत बन गई. JoSAA काउंसलिंग के दौरान, सीनियर्स ने मुझे सलाह दी कि मैं आईआईटी बॉम्बे में ब्रांच की बजाय संस्थान को प्राथमिकता दूं. उनकी सलाह को मानते हुए मैंने सिविल इंजीनियरिंग का विकल्प चुना.

आईआईटी बॉम्बे में नए माहौल के साथ सामंजस्यशुरुआत में आईआईटी बॉम्बे का माहौल भारी लग रहा था. अपने परिवार से दूर रहना, खासकर बहन और चचेरे भाइयों की संगत के बिना, कठिन था. शुरुआत में दोस्त बनाना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन धीरे-धीरे क्लब और गतिविधियों में भाग लेकर मैंने एक सहायक मित्र मंडली बनाई. घर के बने खाने की कमी जरूर खली, लेकिन मेस के भोजन और दोस्तों की संगत में ढलने की कला सीख ली.

आईआईटी बॉम्बे में मेरा सफर सिर्फ एक डिग्री पाने तक सीमित नहीं रहा; यह आत्म-खोज और पर्सनल डेवलपमेंट का भी मार्ग रहा है.

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Tags: Iit, IIT Bombay, JEE Exam, Success Story, Womens Success StoryFIRST PUBLISHED : October 20, 2024, 15:52 IST

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