क्या सर्जरी के बिना आर्थराइटिस का दर्द मिटाना मुमकिन है? जानिए कब पड़ती है ऑपरेशन की जरूरत

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क्या सर्जरी के बिना आर्थराइटिस का दर्द मिटाना मुमकिन है? जानिए कब पड़ती है ऑपरेशन की जरूरत



When to get Surgery Done in Case of Arthritis: द ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के वर्ष 2019 में की गई एक स्टडी में भारत में 62.35 मिलियन लोग ऑस्टियो आर्थराइटिस से पीड़ित पाए गए. ऐसा माना जाता है कि यह हमारे देश में विभिन्न आयु वर्ग के व्यक्तियों को प्रभावित करने वाली शारीरिक विकलांगता का चौथा सबसे आम कारण है. इस बीमारी में जोड़ों में सूजन, दर्द और कठोरता आने लगती है. जिसकी वजह से दैनिक गतिविधियों और रुटीन कामकाज करने में दिक्कतें होने लगती हैं. इस मामले में हालांकि सर्जरी का विकल्प उपलब्ध है लेकिन काफी मरीज बिना ऑपरेशन करवाए दूसरे उपायों के जरिए इस तकलीफ को कंट्रोल कर जाते हैं. आज प्रिस्टिन केयर के सीनियर ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर अभिषेक बंसल आपको बताने जा रहे हैं कि गठिया का दर्द होने पर आपके पास इलाज के लिए कौन- कौन से विकल्प उपलब्ध हैं और आप सर्जरी की कब जरूरत हो सकती है. 
बिना सर्जरी कराए ऑस्टियो आर्थराइटिस से राहत पाने के उपाय
1. फिजिकल थेरेपी 
गठिया का दर्द होने पर फिजिकल थेरेपी राहत पाने में बहुत मदद करती है. इसके लिए आप ट्रेंड  फिजियोथेरेपिस्ट की मदद ले सकते हैं, जो एक्सरसाइज करवाकर आपके जॉइंट्स के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने, उनमें लचीलापन लाने और चलने-फिरने में फिट लाने के लिए एक पर्सनल एक्सरसाइज प्रोग्राम बना सकते हैं. रेग्युलर फिजिकल एक्टिविटी करने से शरीर के वजन को कंट्रोल करने में मदद मिलती है, जिससे वजन सहने वाले घुटनों पर प्रेशर कम हो जाता है. 
2. लाइफस्टाइल में बदलाव
लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके भी ऑर्थराइट्स यानी गठिया बीमारी को कंट्रोल करने में भी मदद मिल सकती है. शरीर के ऊंचाई के हिसाब से एक संतुलित वजन होना बहुत जरूरी है. ज्यादा वजन होने से घुटनों और कूल्हों पर ज्यादा प्रेशर पड़ने लगता है. इसके साथ ही गठिया से राहत पाने के लिए संतुलित आहार, जिसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज और वसायुक्त मछली आदि के सेवन से भी फायदा होता है. इससे गठिया को पनपने से रोकने में भी मदद मिलती है. 
3. वैकल्पिक थेरेपी 
काफी रोगी ऐसे हैं, जो इलाज की वैकल्पिक विधियों का इस्तेमाल करके इस बीमारी से राहत पा लेते हैं. उदाहरण के लिए, गठिया से पीड़ित कुछ व्यक्तियों में दर्द को कम करने में एक्यूपंक्चर मददगार साबित हुआ है. अन्य विकल्पों में मालिश थेरेपी, जिसमें नारियल या सरसों के तेल को हल्का गर्म करके जोड़ों की मालिश की जाती है. जबकि दूसरा तरीका, जिसमें गर्म या ठंडी चीज से जोड़ों की सिंकाई की जाती है. ये तरीके भी जोड़ों की सूजन को कम करने और दर्द से राहत दिलवाने में मदद कर सकते हैं. 
4. इलाज में सहायता देने वाले उपकरण
जूते के इन्सर्ट, या चलने में सहायता जैसे सहायक उपकरणों का इस्तेमाल करके आर्थराइट्स को कंट्रोल करने में मदद करता है. इससे जोड़ों का दर्द कम होता है और उन वजहों को दूर करता है, जिनकी वजह से यह समस्या होती है. 
कब करवानी चाहिए जोड़ों की सर्जरी?
हालांकि काफी मामलों में लोग बिना ऑपरेशन करवाए ही जोड़ों के दर्द पर काबू पा लेते है. लेकिन कुछ ऐसी स्थितियां हैं, जब जोड़ों की सर्जरी करवाना जरूरी हो जाता है. –
1. जॉइंट्स के गंभीर रूप से खराब होने पर
अगर गठिया का रोग इतना बढ़ जाए कि उठने- बैठने और चलने में भी दिक्कतें आने लगे. किसी भी वैकल्पिक उपाय से राहत न मिल रही हो. आप रुटीन एक्टिविटी में भी खुद को लाचार महसूस कर रहे हों तो आर्थोस्कोपी या जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी पर विचार किया जा सकता है. यह सर्जरी जोड़ों के दर्द को कम करने और रुटीन कार्य फिर से शुरू करने में मदद कर सकती है. 
2. गैर-सर्जिकल इलाज के बावजूद लगातार दर्द रहना
यदि किसी मरीज को घुटनों और कूल्हों में लगातार गंभीर दर्द रहता है और किसी भी गैर-सर्जिकल इलाज से आराम नहीं हो रहा तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि जॉइंट्स इस हद तक खराब हो गए हैं कि अब सर्जिकल ऑपरेशन करवाना जरूरी है. ऐसा न करने पर पीड़ित का दर्द उसे रात में सोने नहीं देता.
3. बढ़ी हुई सूजन और काम करने में परेशानी 
कई मामलों में, जोड़ों में सूजन इतनी बढ़ जाती है कि पीड़ित को एक कदम चलना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में इस असहनीय दर्द से राहत पाने के लिए उनके सामने सर्जरी करवाना ही एकमात्र विकल्प रह जाता है. यह गठिया के सूजन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए खासतौर से जरूरी हो जाता है, जहां जोड़ों को स्थाई रूप से विक्लांग होने से बचाने के लिए उनका ऑपरेशन जरूरी हो जाता है.
गठिया से राहत के लिए बड़े नजरिये की जरूरत
डॉक्टर अभिषेक बंसल ने बताया कि आर्थराइट्स के दर्द को प्रभावी ढंग से मैनेज करने के लिए एक व्यापक नजरिये की जरूरत होती है. अगर किसी को इस तरह जोड़ों में दर्द शुरू होने लगे तो उसके इलाज की शुरुआत सर्जरी के बजाय सामान्य उपायों से करना चाहिए. इसमें डॉक्टरों की सलाह पर दवा के सेवन, फिजिकल थेरेपी लेने, लाइफस्टाइल चेंज करने और दूसरी थेरेपी का प्रयोग शामिल है.
डॉक्टरों से कंसल्ट करके जानें विकल्प
इसके साथ ही यह भी तय करना जरूरी है कि जिंदगी को बेहतर बनाने और रुटीन लाइफ में दिक्कत आने पर कब सर्जरी की ओर आगे बढ़ें. हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स के साथ रेग्युलर कंसल्ट करके हम गठिया बीमारी से राहत के विभिन्न विकल्पों पर विचार कर सकते हैं. इस तरह सिस्टमेटिक तरीके से आगे बढ़ने पर हमारे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सर्वोत्तम संभव परिणाम सुनिश्चित हो सकते हैं.



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