Mahakumbh 2025 : महाकुंभ में कौन करेगा सबसे पहले शाही स्‍नान? संतों की बैठक में होगा फैसला, बढ़ सकता है विवाद

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Mahakumbh 2025 : महाकुंभ में कौन करेगा सबसे पहले शाही स्‍नान? संतों की बैठक में होगा फैसला, बढ़ सकता है विवाद

प्रयागराज. संगम की धरती पर 13 जनवरी 2025 से आयोजित होने वाले महाकुंभ में अखाड़ों के स्नान के क्रम को लेकर इस बार बड़ा बखेड़ा खड़ा हो सकता है. परंपरा के मुताबिक प्रयागराज में होने वाले कुंभ और महाकुंभ में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी सबसे पहले शाही स्नान करता आया है. लेकिन इस बार महाकुंभ में अखाड़ों के शाही स्नान के क्रम में बदलाव की तैयारी की जा रही है. इस बदलाव को लेकर अखाड़ों के बीच रार छिड़ने के पूरे आसार नजर आ रहे हैं. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने जूना अखाड़े को 2025 के महाकुंभ में सबसे पहले शाही स्नान करवाने का मन बनाया है. लेकिन प्रयागराज में सबसे पहले शाही स्नान करने वाले महानिर्वाणी अखाड़े के संतों ने अखाड़ा परिषद के इस फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया है.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी का कहना है कि जूना अखाड़ा शैव परम्परा के अखाड़ों में सबसे बड़ा अखाड़ा है. इसलिए उसे सबसे आगे स्नान करने का मौका देना चाहिए. उनका यह भी दावा है कि अखाड़ों की रजामंदी से वो इस प्रस्ताव को अगली बैठक में सभी दूसरे अखाड़ों से भी पास करवा लेंगे. जूना अखाड़े को सबसे पहले शाही का मौका दिए जाने के पीछे अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी की दलील है कि जूना अखाड़े में ज्यादा साधु संतों के होने की वजह से अगर वह पीछे रहता है तो आगे रहने वाले साधु संतों पर दबाव पड़ता और धक्का लगता है.

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जूना अखाड़ा पहले शाही स्नान कर लेगा, तोइससे किसी तरह का हादसा भी होने का खतरा बना रहता है. उनका कहना है कि अगर जूना अखाड़ा पहले शाही स्नान कर लेगा. तो इससे बाकी बचे अखाड़ों को कोई समस्या नहीं आएगी और सभी अखाड़े अपने क्रम पर आकर शाही स्नान करेंगे. उनका कहना है कि जूना अखाड़ा न केवल सबसे बड़ा अखाड़ा है बल्कि इसके साथ किन्नर और कई अन्य अखाड़े भी जुड़े हैं.

2019 के कुंभ में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने किया था सबसे पहले शाही स्नानहम आपको बता दें कि 2019 के कुंभ में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने सबसे पहले शाही स्नान किया था. जबकि उसके साथ श्री पंचायती अटल अखाड़ा भी मौजूद था. दूसरे क्रम में श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा और तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़ा ने शाही स्नान किया था. ‌इसके बाद श्री पंचदश नाम जूना अखाड़ा, श्री पंचदश नाम आवाह्न अखाड़ा और श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़े ने एक साथ शाही स्नान किया था. इसके बाद बैरागी अखाड़ों के शाही स्नान का क्रम शुरू हुआ था. इसमें सबसे पहले अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा ने स्नान किया था. उसके बाद अखिल भारतीय श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा और अखिल भारतीय पंच निर्मोही अनी अखाड़े ने स्नान किया था. ‌जबकि सबसे अंत में उदासीन अखाड़े ने शाही स्नान किया था. इसमें पहले श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन, उसके बाद श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन और श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल ने शाही स्नान किया था.

शाही स्नान का क्रम संख्या बल से नहीं बल्कि परंपरा के आधार पर तय होवहीं प्रयागराज में शाही स्नान का क्रम बदले जाने को लेकर श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव महंत यमुना पुरी ने विरोध किया है. उन्होंने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्रपुरी को दो टूक कहा है कि अखाड़े के शाही स्नान का क्रम संख्या बल से नहीं बल्कि परंपरा के आधार पर तय होगा. उनके मुताबिक प्रयागराज कुंभ और महाकुंभ में सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़े के शाही स्नान की परंपरा है. वहीं हरिद्वार में निरंजनी अखाड़ा सबसे पहले शाही स्नान करता है. जबकि उज्जैन और नासिक में जूना अखाड़ा सबसे पहले शाही स्नान करता है. अखाड़े शाही स्नान तीन स्नान पर्वों पर करते है. मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी पर अखाड़ों का शाही स्नान होता है. इसलिए उन्होंने कहा है कि शाही स्नान के क्रम में किसी तरह के बदलाव को महानिर्वाणी अखाड़े के नागा संन्यासी कभी स्वीकार नहीं करेंगे. उन्होंने कहा है कि परंपराओं के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाए तो यह बेहतर होगा.

अगर महाकुंभ में अखाड़ों के शाही का क्रम बदलता है तो…अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी भले ही यह दलील दे रहे हों कि व्यवस्था की वजह से शाही स्नान के क्रम में बदलाव किया जा रहा है. लेकिन इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि अखाड़ा परिषद दो फाड़ हो चुका है. जिस गुट के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी हैं. उनका दावा है कि उन्हें 8 अखाड़ों जूना अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, आवाह्न अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, बड़ा उदासीन अखाड़ा, नया उदासीन अखाड़ा और निर्वाणी अनी अखाड़े का समर्थन हासिल है. जबकि दूसरे गुट के अध्यक्ष महानिर्वाणी अखाड़े के महंत रवीन्द्र पुरी के साथ सिर्फ पांच अखाड़ों महानिर्वाणी, अटल अखाड़ा, दिगंबर अनी अखाड़ा, निर्मोही अनी अखाड़ा और निर्मल अखाड़े का समर्थन है. इसलिए संख्या बल के आधार पर निरंजनी अखाड़े के महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी शाही स्नान के क्रम में बदलाव की बात कह रहे हैं. लेकिन इतना तो तय है, कि अगर महाकुंभ में अखाड़ों के शाही का क्रम बदलता है तो इस मुद्दे पर अखाड़ों के बीच घमासान देखने को मिल सकता है.
Tags: Allahabad news, Kumbh Mela, Prayagraj, Prayagraj Latest News, Prayagraj NewsFIRST PUBLISHED : October 11, 2024, 18:07 IST

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