Navratri 2024: एशिया का दूसरा दक्षिण मुखी मंदिर, त्रेता युग से संबंध, नवरात्री पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

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Navratri 2024: एशिया का दूसरा दक्षिण मुखी मंदिर, त्रेता युग से संबंध, नवरात्री पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

आजमगढ़: शहर के चौक स्थित दक्षिण मुखी देवी मंदिर में नवरात्रि के अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. सैकड़ों लोगों ने माता रानी को नारियल चुनरी चढ़ाकर पूजा अर्चना की और मन्नत मांगी. नवरात्रि के पावन महीने में दक्षिण मुखी देवी का विशेष श्रृंगार एवं पूजा-अर्चना की जाती है. इस प्राचीन मंदिर को फूल मालाओं और विशेष लाइटिंग के माध्यम से सजाया गया. मंदिर में भीड़ देखते हुए प्रशासन की तरफ से सुरक्षा की व्यवस्था भी की गई.

दक्षिण मुखी देवी की पूजामंदिर के पुजारी शरद चंद्र तिवारी ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए बताया कि आज शारदीय नवरात्रि के दिनों में मां के शैलपुत्री रूप की पूजा होती है. दक्षिण मुखी देवी मंदिर लगभग 200 वर्ष पुराना है. मान्यता है कि यहां देवी जी तंत्र विद्या से प्रकट हुई थीं, यह एक तांत्रिक मंदिर है. खास बात यह है कि दक्षिण मुखी देवी मंदिर पूरे देश में केवल यहीं और एक अन्य कोलकाता में स्थापित है. इस मंदिर का काफी महत्व है, इसलिए लोग यहां दर्शन करने आते हैं. आजमगढ़ के अलावा आसपास के जिलों से भी लोग यहां माताजी का दिव्य दर्शन, पूजन करने और मन्नत मांगते हैं. लोगों की मान्यता है कि उनकी मन्नतें पूरी होती हैं.

त्रेता युग से गहरा संबंधआजमगढ़ के मुख्य चौक पर स्थित यह दक्षिण मुखी मंदिर लगभग 200 वर्ष पुराना है. इस मंदिर में हरदम श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. बताया जाता है कि वर्तमान में जहां मंदिर स्थित है, वहां लगभग 400 वर्ष पहले जंगल और झाड़ियां हुआ करती थीं. वर्तमान जगह से लगभग 500 मीटर की दूरी पर आज भी तमसा नदी का तट स्थित है. त्रेता युग में वन गमन के समय भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ रामघाट पर विश्राम किया था. भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग आज भी रामघाट पर स्थित है. पांच सौ वर्ष पूर्व जब मंदिर के स्थान पर मात्र जंगल था और तमसा नदी करीब से बहती थी, तो यहां बालू का टीला हुआ करता था.

माता रानी की प्रकटताइस स्थान पर निजामाबाद के भैरव जी तिवारी ने तप करते हुए उस बालू के टीले को हटाकर समतल बनाने की कोशिश की थी. इस दौरान उन्हें उस स्थान पर काले पत्थर की माता रानी का यह रूप दिखाई पड़ा. उनका मुख दक्षिण होने के कारण वह दक्षिण मुखी माता के रूप में वहां विराजमान हुईं. देवी जी की प्रतिमा मिलते ही वहां हजारों श्रद्धालु पूजन अर्चन के लिए जुट गए और तब से आज तक उक्त स्थान पर हर दिन पूजन-अर्चन होता है. आजमगढ़ के अलावा दक्षिण मुखी माता का मंदिर केवल कोलकाता में ही स्थित है, जिसे दक्षिणेश्वरी माता के नाम से जाना जाता है.
Tags: Azamgarh news, Local18, Special Project, UP newsFIRST PUBLISHED : October 5, 2024, 16:19 ISTDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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