Twin tower Noida: देश की राजधानी दिल्ली से सटे यूपी के गौतम बुद्ध नगर में बने सुपरटेक ने एपेक्स और सेयेन ट्विन टावर को सुप्रीम कोर्ट (Superme Court) ने अवैध करार दिया था. यही नहीं, इन दोनों टावरों को गिराने के लिए इस साल 31 अगस्त को आदेश किया गया था, लेकिन इनको अब तक गिराया नहीं जा सका है क्योंकि आसपास मौजूद अन्य टावरों को नुकसान पहुंचने का अंदेशा है. वहीं, नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों को तब से एक ऐसी एजेंसी की तलाश थी, जो कि ट्विन टावर के पास मौजूद एमराल्ड कोर्ट और एटीएस सोसायटी को नुकसान पहुंचाए बिना इसे ध्वस्त कर दे. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के भीतर खाली पड़े टावरों को गिराने का आदेश दिया था.
इस बीच मुंबई की एक कंपनी ने ट्विन टावरों को गिराने का प्रस्ताव दिया है. दरअसल, इस कंपनी ने पिछले साल जनवरी में कोच्चि में अवैध माराडु वाटरफ्रंट अपार्टमेंट को गिराया था. कंपनी वाटरफॉल इम्प्लोजन कोलैप्स मैकेनिज्म (Waterfall Implosion Collapse Mechanism) के जरिए टावर गिराएगी. यह विस्फोट ऐसा होगा कि सिर्फ नौ मीटर की दूरी कवर करेगा और इससे आसपास की इमारतों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. नोएडा के ट्विन टावर को तोड़ने में दस करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होंगे.
जानें क्या है अन्य टावरों की दूरीदरअसल टावर नंबर-16 और 17 को तोड़ा जाना है और वह 32 मंजिल ऊंचे हैं. यानी इनकी ऊंचाई 100 मीटर से ज्यादा है. वहीं, टावर नंबर-17 के एक तरफ एमराल्ड कोर्ट का ही 44 फ्लैट वाला टावर नंबर-1 है, जिसमें लोग रहते हैं. जबकि दूसरी तरफ एटीएस सोसायटी है और उसकी बाउंड्रीवॉल की दूरी 32 से 33 मीटर है.
जानें क्या है वाटरफॉल इम्प्लोजन कोलैप्स मैकेनिज्मबहरहाल, नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों और एमराल्ड कोर्ट के निवासियों के सामने अपने प्रजेंटेशन में एडिफिस इंजीनियरिंग ने एक ‘वाटरफॉल इम्प्लोजन कोलैप्स मैकेनिज्म’ का प्रस्ताव रखा, जो अप्रैल 2019 में जोहान्सबर्ग में 108 मीटर ऊंचे बैंक ऑफ लिस्बन की इमारत को गिराने के लिए इस्तेमाल किया गया था. इसके साथ अधिकारियों ने कहा कि जोहान्सबर्ग में जो इमारत गिराई गई थी, उसका ग्राउंड क्लीयरेंस (7.8 मीटर) था और यहां पर यह नौ मीटर है. साथ बताया कि विस्फोट में कुछ सेकंड लगेंगे, लेकिन तैयारी से लेकर मलबा हटाने तक की पूरी कवायद में लगभग 26 सप्ताह का समय लगेगा. इस दौरान सेयेन टावर पहले गिरेगा. जबकि एपेक्स को सेयेन की तरफ ‘लेटरल पुल’ बनाकर गिराया जाएगा. यह दोनों टावर अंदर की ओर गिरेंगे और मलबा गुफानुमा तहखाने में गिरेगा.
बता दें कि जिस तरह कोई झरना ऊंचाई से जमीन पर आकर गिरता है, उसी तरह वाटरफॉल इम्प्लोजन से इमारत भी गिरती है. इस दौरान विस्फोट के लिए दोनों इमारतों के कॉलम, बीम और दीवारों में छेद किए जाएंगे. जबकि विस्फोट के दौरान मलबे को इधर-उधर उड़ने से रोकने के लिए एक जाल का घेरा बनाने के साथ कॉलम्स को भू टेक्सटाइल कपड़े में लपेटा जाएगा, जिससे बिल्डिंग का मलबा कम बने. यही नहीं, सेक्टर 93 ए में स्थित टावरों के धूल के गुबार ऊपर तक जाएंगे और इन्हें थमने में 10 से15 मिनट तक लग सकते हैं. अनुमानित 3000-3500 ट्रक मलबे को साइट से बाहर निकाला जाएगा.
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