Bilateral Hip Replacement Surgery of 65 years old Shubhangi Devi Weight 23kg Gets New Life Dr Ashwani Maichand | उम्र 65, वजन महज 23 किलो, डॉक्टर्स ने की इस महिला की कामयाब बाइलेटरल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी

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Bilateral Hip Replacement Surgery of 65 years old Shubhangi Devi Weight 23kg Gets New Life Dr Ashwani Maichand | उम्र 65, वजन महज 23 किलो, डॉक्टर्स ने की इस महिला की कामयाब बाइलेटरल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी



Bilateral Hip Replacement Surgery: हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी अपने आप में एक मुश्किल टास्क है, इस ऑपरेशन को कराने से कई लोग घबराते हैं, क्योंकि उन्हें डर होता है कि कहीं कुछ कॉम्पलिकेशन आ गया तो जिंदगी पर बेड रिडेन होना पड़ सकता हैं, इसलिए वो सारी जिंदगी दर्द के साथ गुजार देते हैं. भारत में इसको लेकर अवेयरनेस की कमी है. अगर सही इलाज मिले, तो न सिर्फ कामयाब सर्जरी मुमकिन है बल्कि एक नई जिंदगी भी हासिल हो सकती है.
दर्द से परेशान थीं मरीज
दिल्ली में एक ऐसा मामला सामने आया है जो आर्थराईटिस और अन्य जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों के लिए उम्मीदें जगाता है. 65 साल की शुभांगी देवी जो मूल रूप से यूपी के शहर गोरखपूर की निवासी हैं, लेकिन अब दिल्ली के रिठाला में रहती हैं. उन्हें दोनों कूल्हों में तेज दर्द की शिकायत थी क्योंकि बढ़ती के कारण उन्हें आर्थराइटिस भी था.
सर्जरी के बाद मिली नई जिंदगी
डॉ. अश्विनी मायचंद (Dr Ashwani Maichand), डायरेक्टर ऑफ आर्थोपेडिक, सीके बिरला हॉस्पीटल दिल्ली की टीम ने शुभांगी देवी (Shubhangi Devi) की कामयाब बाइलेटरल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की और इलाज के बाद अब पेशेंट दोबारा चल फिर सकती हैं. इस सर्जरी से पहले व्हीलचेयर ही उनका सहारा था. एक दिन उनकी हालत काफी बिगड़ गई और फिर मेडिकल टीम के लिए उनको ठीक करना काफी चैलेंजिंग हो गया.
रिस्की थी सर्जरी 
डॉ. अश्विनी ने बताया कि सबसे बड़ा रिस्क सर्जरी के दौरान बोन फ्रैक्चर का था क्योंकि उनकी हड्डियां काफी कमजोर हो गई थीं,  वो कैल्शियम की कमी और ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी का भी सामना कर रही थीं. इतना ही नहीं उनकी हड्डियां ब्रिटल, सॉफ्ट और कम साइज और लो कैल्शियम कंटेंट वाली थीं, जिसकी वजह से इंप्लांट का प्लेसमेंट करना काफी मुश्किल हो गया था. मरीज की हालत नाजुक थी और वजन महज 23 किलोग्राम था, ऐसे में डॉ. अश्विनी मायचंद की मेडिकल टीम ने उनके इलाज के लिए बेस्ट ऑप्शन के तौर पर मिनिमली इन्वेसिव सर्जरी (Minimally Invasive Surgery) यानी एमआईएस (MIS) को चुना.
मिनिमली इन्वेसिव सर्जरी क्या है?
मिनीमली इनवेसिव सर्जरी में छोटे साइज के चीरे लगाए जाते हैं और ऐसी एडवांस तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे कम से कम टिश्यू डैमेज होते हैं, यानी मरीज को ऑपरेशन के बाद कम तकलीफ होती है, रिकवरी भी तेजी से होती है और वो काफी कम टाइम में अपने नॉर्मल रूटीन में लौट पाते हैं. शुभांगी देवी की दो सर्जरी की गई, पहली दाएं कूल्हे और दूसरी बाएं कूल्हे पर की गई. ऑपरेशन में एक घंटे का वक्त लगा. चूंकि पेशेंट की उम्र काफी ज्यादा थी इसलिए एनेस्थीसिया का इस्तेमाल करना भी रिस्की था, लेकिन डॉक्टर्स ने इस तरह के हर चैलेंज को पार किया और मरीज को एक हफ्ते के भीतर चलने फिरने के काबिल बना दिया.
चैलेंजिंग टास्क
डॉ. अश्विनी मायचंद इस बारे में और जानकारी देते हुए मीडिया को बताया, “ये केस इस वजह से काफी अलग और चैलेंजिंग था क्योंकि पेशेंट का वजन बेहद कम था, जिसके चलते उनकी डुअल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी बेहद रेयर हो गई. सबसे बड़ी चुनौती उनकी ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित हड्डियों में फ्रैक्चर को लेकर थी क्योंकि ये हड्डियां काफी नाजुक और आकार में छोटी थीं. हमने काफी सावधानी से सर्जरी की तैयारी की और बिना किसी कॉम्पलिकेशन के कामयाबी के साथ इसे अंजाम दिया.
ये अचीवमेंट हमारी टीम की क्षमता और हमारे अस्पताल में मरीजों के लिए मिलने वाले एडवांस केयर का सबूत है. ऐसे मरीजों की ऑपरेशन के बाद देखभाल भी काफी अहम होती है. रेगुलर फॉलो-अप के अलावा सही डाइट, और फिजियोथेरेपी उनके इंप्लांट्स की लंबी उम्र और मरीज की सेहत के लिहाज से काफी अहम हैं. हम शुभांगी देवी की पूरी रिकवरी और आगे चलकर पेन फ्री और आत्मनिर्भर जीवन को लेकर पूरी तरह से कॉन्फिडेंट हैं.”
काफी परेशानी के बाद हुआ सही इलाज
शुभांगी देवी ने ज़ी न्यूज से कहा कि वो कई जगह अपने इलाज के लिए भटकती रहीं, काफी पैसे खर्च हो गए लेकिन उनका सही ट्रीटमेंट नहीं हो पाया. एक दिन उनके बेटे राम ने यू-ट्यूब पर डॉ. अश्विनी के बारे में जानकारी हासिल की और फिर अस्पताल में संपर्क किया, और सर्जरी के बाद मरीज काफी राहत महसूस कर रही हैं.
‘कम वजन के साथ भारत की पहली ऐसी सर्जरी’
डॉ. अश्विनी मायचंद ने दावा किया है ये इतने कम वेट (23 किलो) में भारत की पहली ऐसी बाइलेटरल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी है जो कामयाब रही, शुभांगी देवी के इलाज में तकरीबन 4.5 लाख का खर्च आया, लेकिन आज वो राहत की सांस ले पा रही हैं क्योंकि उन्हें नई जिंदगी मिल गई है.
 



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