Miracle KGMU doctors did complex surgery of girl make path to uterus made from intestine | चमत्कार! आंत से बना गर्भाशय का रास्ता, जटिल सर्जरी कर केजीएमयू के डॉक्टरों ने रचा इतिहास

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Miracle KGMU doctors did complex surgery of girl make path to uterus made from intestine | चमत्कार! आंत से बना गर्भाशय का रास्ता, जटिल सर्जरी कर केजीएमयू के डॉक्टरों ने रचा इतिहास



लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के क्वीन मेरी अस्पताल में डॉक्टरों की एक टीम ने एक बड़ा मेडिकल कीर्तिमान स्थापित किया है. यहां की टीम ने 17 वर्षीय किशोरी (जो गर्भाशय ग्रीवा एट्रेसिया नामक जटिल जन्मजात डिसऑर्डर से पीड़ित थी) का सिग्माइड कोलन से सफल वैजिनोप्लेस्टी कर एक नया इतिहास रचा है. यह ऑपरेशन न केवल मेडिकल के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि मरीज के जीवन में भी एक नया अध्याय जोड़ने वाला साबित हुआ है.
गर्भाशय ग्रीवा एट्रेसिया एक जन्मजात डिसऑर्डर है, जिसमें योनि और गर्भाशय ग्रीवा का सही तरीके से विकास नहीं होता. इस विकार के कारण पीरियड्स का खून गर्भाशय में जमा हो जाता है, जिससे पीड़िता को गंभीर दर्द का सामना करना पड़ता है. बाराबंकी की इस किशोरी ने कई सर्जरी के बावजूद राहत नहीं पाई थी और उसे भारी दर्द का सामना करना पड़ रहा था. कई डॉक्टरों ने यहां तक सुझाव दिया था कि उसका गर्भाशय निकाल दिया जाए.
कैसे किया गया सफल इलाज?केजीएमयू की स्त्री रोग विशेषज्ञों और सर्जनों की टीम ने डॉ. एसपी जयसवार के नेतृत्व में इस जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक किया. इस टीम में डॉ. सीमा मेहरोत्रा, डॉ. पीएल संखवार, डॉ. मंजुलता वर्मा, डॉ. श्रुति और बाल चिकित्सा सर्जन डॉ. एसएन कुरील शामिल थे. सर्जरी के दौरान सिग्माइड कोलन (बड़ी आंत) का उपयोग करके योनि का नया रास्ता बनाया गया. इसे सिग्माइड वैजिनोप्लेस्टी कहा जाता है.
क्यों चुना सिग्माइड कोलन?डॉ. एसएन कुरील के अनुसार, सिग्माइड कोलन का चयन इसलिए किया गया क्योंकि इसका आकार और टिशू योनि के ऊतकों के समान होते हैं, जिससे सर्जरी के परिणाम अधिक प्रभावी होते हैं. इस सर्जरी के बाद किशोरी को न केवल गंभीर दर्द से राहत मिली है, बल्कि उसकी मासिक धर्म प्रक्रिया भी सामान्य हो गई है.
मेडिकल क्षेत्र में बड़ी उपलब्धिकेजीएमयू की स्त्री रोग विभाग की प्रमुख डॉ. अंजू अग्रवाल ने इस सफलता को जन्मजात प्रजनन डिसऑर्डर के इलाज में एक बड़ा कदम बताया है. यह सर्जरी जन्मजात डिसऑर्डर के इलाज में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई है और इससे उन सभी मरीजों को उम्मीद की एक नई किरण मिली है, जो इस तरह की जटिल समस्याओं से जूझ रहे हैं.



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