सरकारी स्कूल से पढ़ने वाले ने किया कमाल, पहले बने साइंटिस्ट, फिर बड़ी कंपनियों में नौकरी, अब हैं प्रोफेसर

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सरकारी स्कूल से पढ़ने वाले ने किया कमाल, पहले बने साइंटिस्ट, फिर बड़ी कंपनियों में नौकरी, अब हैं प्रोफेसर

बलिया: हर किसी का सपना होता है कि वह जीवन में सफल होकर एक अच्छे अधिकारी या प्रतिष्ठित नौकरी हासिल करे. लेकिन अक्सर असफलता मिलने पर लोग हार मान लेते हैं और प्रयास करना बंद कर देते हैं. आपने वह मशहूर पंक्ति जरूर सुनी होगी, “कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.” यह पंक्ति जीवन में संघर्ष और समर्पण की महत्ता को दर्शाती है.

ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी है, जो युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है. यह कहानी है एक प्रोफेसर की, जिन्होंने पढ़ाई के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान केंद्रित किया और न केवल एक बार बल्कि बार-बार सफलता हासिल की. बलिया के श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय के मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनिल कुमार सिंह ने सफलता की एक अद्वितीय मिसाल कायम की है. आइए जानते हैं उनकी सफलता का मूलमंत्र.

ग्रामीण पृष्ठभूमि से सफर की शुरुआतडॉ. अनिल कुमार सिंह, आजमगढ़ के कोटवा जलालपुर के रहने वाले हैं. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी तरह से ग्रामीण परिवेश में रहकर पूरी की. कक्षा 8 तक की पढ़ाई गांव में ही हुई.

आठवीं के बाद संघर्ष की शुरुआतआठवीं के बाद, गांव में इंटरमीडिएट कॉलेज नहीं था, इसलिए अनिल को लगभग 7 किलोमीटर साइकिल चलाकर स्कूल जाना पड़ता था. उन्होंने हाई स्कूल और इंटरमीडिएट पास करने के बाद स्नातक की पढ़ाई वाराणसी से की और फिर पोस्ट ग्रेजुएशन आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज, फैजाबाद से पूरा किया. वहीं से उन्होंने पीएचडी की उपाधि भी प्राप्त की.

सफलता पर सफलता मिलती रहीडॉ. अनिल कुमार सिंह ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कई प्रतिष्ठित पदों पर कार्य किया. सबसे पहले, उन्होंने टी बोर्ड में वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी के रूप में काम किया. इसके बाद, उन्हें चयन प्रक्रिया के माध्यम से सॉइल साइंटिस्ट का पद मिला. उन्होंने लगभग 7 साल तक टी बोर्ड में सेवा दी. इसके बाद, असम के चाय अनुसंधान संघ में सीनियर एडवाइजरी साइंटिस्ट के रूप में भी कार्य किया.

बड़ी नौकरियां छोड़ शिक्षा के प्रति समर्पणहालांकि इतने उच्च पदों पर रहते हुए भी उनका मन शिक्षण कार्य की ओर खिंचता रहा. उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षा में सफल होने के बाद, उनका चयन एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में हुआ और उन्होंने इस पद को स्वीकार किया. अब वे छात्रों को शिक्षा के माध्यम से भविष्य संवारने का कार्य कर रहे हैं.

युवाओं के लिए सफलता का संदेशलोकल 18 से बातचीत के दौरान, डॉ. अनिल कुमार सिंह ने अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने बताया कि उनका बचपन से ही पढ़ाई के प्रति अत्यधिक लगाव था. उनका मानना है कि खान-पान, रहन-सहन, और अनुशासन सफलता के महत्वपूर्ण घटक होते हैं. अगर व्यक्ति इन बातों पर ध्यान देता है, तो उसे कभी असफलता का सामना नहीं करना पड़ेगा. उन्होंने खुद को इसका जीवंत उदाहरण बताया.
Tags: Local18, Success StoryFIRST PUBLISHED : October 1, 2024, 14:40 IST

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