Antibiotics are becoming ineffective on UTI typhoid and pneumonia claims latest ICMR report reveals | UTI, टाइफाइड और निमोनिया पर बेअसर हो रहा एंटीबायोटिक्स का असर, ICMR की ताजा रिपोर्ट में खुलासा

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Antibiotics are becoming ineffective on UTI typhoid and pneumonia claims latest ICMR report reveals | UTI, टाइफाइड और निमोनिया पर बेअसर हो रहा एंटीबायोटिक्स का असर, ICMR की ताजा रिपोर्ट में खुलासा



भारत में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस तेजी से बढ़ता जा रहा है, जिससे गंभीर बीमारियों का इलाज मुश्किल होता जा रहा है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस सर्विलांस नेटवर्क (AMRSN) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI), खून संक्रमण, निमोनिया और टाइफाइड जैसी बीमारियों पर सामान्य एंटीबायोटिक्स अब प्रभावी नहीं रह गए हैं.
ICMR द्वारा जारी की गई सातवीं वार्षिक रिपोर्ट में यह बताया गया कि कई सामान्य एंटीबायोटिक्स (जैसे कि सेफोटैक्सिम, सेफ्टाजिडाइम, सिप्रोफ्लोक्सासिन) और लेवोफ्लोक्सासिन, ICU और ओपीडी मरीजों में पाई जाने वाली E.coli बैक्टीरिया पर 20% से भी कम प्रभावी हो रही हैं. यह बैक्टीरिया यूरिन, खून और श्वसन तंत्र जैसे विभिन्न शारीरिक हिस्सों में संक्रमण का कारण बनती है. इसी तरह, क्लेबसिएला निमोनिया और स्यूडोमोनास एरुगिनोसा जैसे बैक्टीरिया ने भी महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक्स जैसे पाइपरासिलिन-ताजोबैक्टम, इमीपेनम और मेरोपेनम के प्रति रेजिस्टेंस क्षमता विकसित कर ली है.
रिपोर्ट के अनुसार, कई एंटीबायोटिक्स की प्रभावशीलता में समय के साथ गिरावट आई है. उदाहरण के लिए, पाइपरासिलिन-ताजोबैक्टम की प्रभावशीलता 2017 में 56.8% से घटकर 2023 में केवल 42.4% रह गई है. यहां तक कि आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं जैसे एमिकासिन और मेरोपेनम भी अब पूरी तरह से कारगर नहीं साबित हो रही हैं.
खतरनाक वृद्धि और एंटीबायोटिक उपयोग पर चिंताग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया, जो शरीर के किसी भी हिस्से में संक्रमण कर सकते हैं, भारत में सबसे अधिक पाए जाने वाले रोगजनकों में से एक हैं. इसके अलावा, दस्त और गैस्ट्रोएंटेरिटिस जैसी बीमारियों का कारण बनने वाले साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया ने फ्लूरोक्विनोलोन्स एंटीबायोटिक्स के प्रति 95% से अधिक रेजिस्टेंस कैपेसिटी विकसित कर ली है, जिससे टाइफाइड के इलाज में भी दिक्कतें आ रही हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस की समस्या को रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स के उपयोग पर सख्त कंट्रोल की आवश्यकता है. साथ ही, कृषि में इन दवाओं के अनावश्यक इस्तेमाल को भी कड़ी निगरानी में रखने की सिफारिश की गई है. इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि एंटीबायोटिक्स का सही उपयोग हो और एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस जैसी गंभीर समस्या से निपटा जा सके. आईसीएमआर की यह रिपोर्ट देश में एंटीबायोटिक उपयोग के बढ़ते दुरुपयोग की ओर भी इशारा करती है, जिससे न केवल मरीजों के इलाज में दिक्कतें आ रही हैं बल्कि भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं.



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