Cough and sore throat persist even after recovery from covid-19 then you may have a heart attack says study | कोरोना ठीक होने के बाद भी बनी हुई है खांसी और गले में खराश? तो आपको हो सकता है हार्ट अटैक!

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Cough and sore throat persist even after recovery from covid-19 then you may have a heart attack says study | कोरोना ठीक होने के बाद भी बनी हुई है खांसी और गले में खराश? तो आपको हो सकता है हार्ट अटैक!



कोरोना महामारी के दौरान कोविड-19 की चपेट में आए लोगों के लिए विशेषज्ञों ने बुधवार को एक चेतावनी जारी की है. कोविड से ठीक हुए लोगों में जिनको पुरानी खांसी, आवाज बैठना, बार-बार गला साफ करने में परेशानी होने जैसे लक्षण दिख रहे हैं, उन लोगों को दिल का दौरा या स्ट्रोक होने का खतरा हो सकता है. साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस विषय पर किए अपने शोध में बताया कि ऐसे लक्षणों वाले मरीजों में बैरोरिफ्लेक्स सेंसिटिविटी (ब्लड प्रैशर में परिवर्तन से व्यक्ति की हृदय गति में आने वाले परिवर्तनों का पता लगाने वाला पैमाना) में कमी देखी गई है.
शोधकर्ताओं की टीम ने बताया कि शोध में सामने आए निष्कर्षों की व्याख्या से पता चलता है कि वेगस नर्व (जो ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम को कंट्रोल करती है) ब्लड प्रैशर रेगुलेशन जैसे कम जरूरी कामों की तुलना में एयरवेज की सुरक्षा को प्रायोरिटी देती है. साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी में लैरींगोलॉजी और क्लिनिकल इंफॉर्मेटिक्स के प्रोफेसर रेजा नौरेई ने इस मामले पर कहा कि हमारा तात्कालिक जीवन इस बात पर निर्भर करता है कि हम जब भी कुछ निगलें तब गला वायु और भोजन मार्ग को अलग करने में सक्षम हो.
कैसे बढ़ता है खतरारेजा नौरेई ने आगे कहा कि गला नाजुक रिफ्लेक्स का उपयोग करके ऐसा करता है, लेकिन जब कोविड जैसे वायरल संक्रमण के कारण ये रिफ्लेक्स कमजोर हो जाते हैं तो यह बैलेंस बिगड़ जाता है, जिससे गले में गांठ महसूस होना, गला साफ करना और खांसी जैसे लक्षण दिखने लगते हैं. जेएएमए ओटोलरिंगोलॉजी में प्रकाशित एक शोध में इस विषय पर गहनता से बताया गया है. इसमें बताया गया है कि संक्रमित गले वाले मरीजों के दिम में विशेष रूप से बैरोरिफ्लेक्स बहुत अच्छे से काम नहीं कर पाता है.
हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरारेजा नौरेई के अनुसार, यह बीमारी हमारे लंबे समय तक जीने को प्रभावित कर सकती है, आने वाले सालों में कम बैरोरिफ्लेक्स फंक्शन वाले मरीजों में दिल का दौरा या स्ट्रोक पड़ने की संभावना सबसे अधिक होगी. साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी के इस अध्ययन में नाक, कान और गले (ईएनटी) की सर्जरी के लिए भर्ती 23 मरीजों को शामिल किया था. इन मरीजों में घुटन, पुरानी खांसी और कुछ निगलने में परेशानी जैसे लक्षण थे. इन मरीजो की दिल धड़कने की रफ्तार, ब्लड प्रेशर और बैरोरिफ्लेक्स सेंस्टिविटी की तुलना गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में भर्ती पाचन रोग से पीड़ित 30 मरीजों से की गई थी.



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