स्कूटर चलाने के लिए ड्राइवर रखता है टीम इंडिया का पूर्व क्रिकेटर, कभी नहीं सीखी ड्राइविंग| Hindi News

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स्कूटर चलाने के लिए ड्राइवर रखता है टीम इंडिया का पूर्व क्रिकेटर, कभी नहीं सीखी ड्राइविंग| Hindi News



Gyanendra Pandey: भारत में क्रिकेट की टैलेंट की खान है. कई खिलाड़ी आते हैं देखते ही देखते उनकी किस्मत पलट जाती है. लेकिन कुछ प्लेयर्स से तकदीर ऐसी रूठती है कि उनका टैलेंट किसी काम का नहीं रहता. ऐसी ही टीम इंडिया के एक पूर्व क्रिकेटर हैं ज्ञानेंद्र पांडे, जिनको लेकर ऐसे राज खुले कि हर को दंग रह गया. ये वो क्रिकेटर हैं जिन्होंने भारत के दिग्गज सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ियों के साथ खेला है. 
कैसा था करियर? 
ज्ञानेंद्र पांडे ने साल 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ टीम इंडिया में अपना डेब्यू किया था. घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के दम पर उन्होंने भारतीय टीम में अपनी जगह बनाई. लेकिन उनका करियर महज हफ्तेभर में खत्म हो गया. उन्होंने ऑलराउंड प्रदर्शन किया, हालांकि 2 मैच में कुछ खास नहीं कर सके. न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उन्होंने अपनी जगह बना ली थी, लेकिन फिर उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया. अब लगभग 24 साल बाद पांडे ने सभी राज खोले हैं. 
स्कूटर के लिए रखते हैं ड्राइवर
क्रिकेट से दूर होने के बाद ज्ञानेंद्र पांडे एसबीआई में पीआर एजेंट के तौर पर काम करते हैं. मजे की बात ये है कि वो कार या किसी बड़े वाहन के लिए ड्राइवर नहीं रखते बल्कि वो अपने स्कूटर के लिए ड्राइवर रखते हैं. उन्होंने लल्लनटॉप पर बात करते हुए बताया, ‘हां मैं रखता हूं, लेकिन वह मेरे करीबी दोस्त हैं. एक बार मुझसे सचिन तेंदुलकर जी ने ये बात पूछी थी. मैं स्कूटी चला लेता हूं. कभी ड्राइविंग सीखने की इच्छा नहीं हुई.’
करियर पर क्या बोले पांडे?
लल्लनटॉप द्वारा खुलासा किया गया कि आपका सेलेक्शन न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में हो गया था. लेकिन अचानक उस दौरान बीसीसीआई सचिव का बयान आया, ‘अगर कुंबले ने ब्रेक मांगा है, लेफ्ट आर्म को ही खिलाना था तो सुनील जोशी को क्यों नहीं चुना?’ इसपर पूर्व क्रिकेटर ने कहा, ‘लेले जी को जो कुछ भी कहना था, उसके बारे में सोचना चाहिए था. उन्हें मेरा प्रदर्शन देखना चाहिए था. वे एक अंपायर भी थे। मैं समझता हूं, यह मेरी गलती थी. मुझे तरकीबें नहीं पता थीं, मुझे समझ नहीं आया कि ये चीजें कैसे काम करती हैं. मैं इसे संभाल नहीं पाया और इसलिए बदनाम हो गया. यहां तक कि मीडिया ने भी मेरी कहानी नहीं छापी. कोई भी मुझसे कुछ पूछने नहीं आया. उन्होंने सिर्फ़ शीर्ष अधिकारियों से संपर्क किया.’



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