महंगे टॉनिक पर भारी पड़ रहा ये देसी अमृत रसायन, डालते ही होता है बंपर उत्पादन, किसान बोले- संजीवनी है-This native nectar chemical is overshadowing the expensive tonic, gives bumper production, farmers say it is a lifesaver.

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महंगे टॉनिक पर भारी पड़ रहा ये देसी अमृत रसायन, डालते ही होता है बंपर उत्पादन, किसान बोले- संजीवनी है-This native nectar chemical is overshadowing the expensive tonic, gives bumper production, farmers say it is a lifesaver.

फर्रुखाबाद: जिले के ताजपुर गांव के उन्नतशील किसान राघवेंद्र सिंह राठौर ने फसलों के लिए एक अनोखा जैविक घोल तैयार किया है, जिसने उनकी फसलों को तपती धूप और भीषण गर्मी में भी हरा-भरा बनाए रखा है. राघवेंद्र सिंह ने इस जैविक घोल का छिड़काव अपने चार बीघा खेत में किया, जहां मक्के की फसल लहलहा रही है. उन्होंने बताया कि इस जैविक घोल का इस्तेमाल करने से फसल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी बढ़ी है.

राघवेंद्र सिंह ने अपनी 45 बीघा खेती में इस जैविक घोल का प्रयोग किया और अब वे इसे अन्य किसानों के साथ भी साझा कर रहे हैं. उनका कहना है कि जैविक घोल का छिड़काव रसायनों की तुलना में बहुत सस्ता और अधिक प्रभावी है. यह फसल को रोगों से भी बचाता है और मिट्टी की सेहत को बेहतर बनाता है.

कैसे तैयार होता है जैविक घोलयह जैविक घोल 15 दिन में तैयार हो जाता है और यह फंगीसाइड और पोषक तत्वों से भरपूर होता है. राघवेंद्र सिंह ने बताया कि 200 लीटर के ड्रम में 100 लीटर पानी भरकर उसमें 10 लीटर मट्ठा, एक लीटर गाय के गोबर का रस, 10 लीटर गोमूत्र, 2 किलो बेसन, 5 किलो गुड़ या सीरा, 500 ग्राम नमक, तांबे की धातु का टुकड़ा, और लोहे की कील या सरिया का टुकड़ा डाला जाता है. इसके अलावा, 3 किलो यूरिया और 5 किलो डीएपी खाद भी मिलाया जाता है. 15 दिनों के बाद यह घोल तैयार हो जाता है, जिसे 16 लीटर की टंकी में 2 लीटर घोल मिलाकर फसल पर छिड़काव किया जाता है.

कम लागत में अधिक लाभराघवेंद्र सिंह का यह नवाचार न केवल उनके लिए बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणादायक साबित हो रहा है. उनके द्वारा तैयार किया गया यह जैविक घोल पर्यावरण के अनुकूल है और कम लागत में अधिक लाभ देने वाला है.
Tags: Agriculture, Local18FIRST PUBLISHED : August 17, 2024, 11:54 IST

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