बरेली. उत्तर प्रदेश के बरेली में अंग्रेजों का बनाया हुआ 200 साल पुराना कब्रिस्तान आज भी मौजूद है. इसके बरेली का सबसे पुराना कब्रिस्तान माना जाता है. जब ईरानपुर कटरा की लड़ाई हुई थी, उसी वक्त रोहिल्ला और अवध के बीच भी लड़ाई हुई थी. जिसमें अवध का साथ अंग्रेजों ने दिया था. इसके बाद ईरानपुर में अवध की फौज के साथ अंग्रेजों की फौज भी आई थी. जिसमें कई अंग्रेजों की मृत्यु हुई तो उनके शवों को यहीं रोहिलखंड बरेली के इसी कब्रिस्तान में दफन किया गया था.
जानिए अंग्रेजों का कब्रिस्तान नाम क्यों पड़ा
जब 1857 की क्रांति हुई थी, तब बरेली के एक चर्च में 40 अंग्रेजों को जिंदा जला दिया गया था. जिनकी कब्र भी यहीं पर बनाई गई थी. यहां ड्यूटी कर रहे जितने भी अंग्रेज के कर्मचारी थे, उनकी मृत्यु के बाद उन्हें भी यहीं दफनाया जाता था. यहां तक कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी अंग्रेजों को यहीं दफना दिया जाता था. इसी नजरिए से बरेली के इस कब्रिस्तान का इतिहास के पन्नों में नाम दर्ज हो गया. बता दें कि इस कब्रिस्तान को 1889 में बनाया गया था. इतिहासकार डॉ. राजेश शर्मा ने लोकल 18 को बताया कि रोहिलखंड बरेली काफी प्रमुख जगह रहा है. इसलिए यहां बड़े कब्रिस्तान को देखते हुए एक छावनी बनवाई गई थी. जहां अंग्रेजों को लगातार दफनाया जाता रहा. इसी कारण से इस कब्रिस्तान का नाम अंग्रेजों का कब्रिस्तान पड़ा.
बरेली के इतिहास में इस कब्रिस्तान का है बड़ा योगादन
इतिहासकार डॉ. राजेश शर्मा ने ने बताया कि यह कब्रिस्तान यहां के रेपीटूनिस्ट चर्च का भी है.यहां के क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के दात खट्टे कर दिए थे. कई बड़े जनरल और अंग्रेज अफसर को इस कब्रिस्तान में दफन किया गया था. बरेली की हिस्ट्री में इस कब्रिस्तान का बहुत बड़ा योगदान रहा है. अंग्रेजों की कब्र के नाम से प्रसिद्ध इस कब्रिस्तान का इतिहास यह है कि भारत में आए अंग्रेजी सेवा के जितने भी कर्मचारी रहे, उनकी मृत्यु होने पर यहीं कब्र खुदवाया जाता था. इसके अलावा जो भी अंग्रेज लड़ाई के दौरान मारे जाते थे, उनको भी यहीं दफाया जाता था.
Tags: Bareilly news, British Raj, Local18, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : August 11, 2024, 19:47 IST