Can Excess heat exposure worsen the health of diabetes patient: डायबिटीज पेशेंट की जिंदगी वैसे ही मुश्किलों में गुजरती है, लेकिन अब नई स्टडी के मुताबिक उनकी परेशानी और भी ज्यादा बढ़ सकती है. एक रिसर्स में कहा गया है कि क्लाइमेट चेंज की वजह बढ़ता हुआ टेम्प्रेतर मधुमेह के मरीजों की सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. दुनिया भर में तकरीबन 53.7 करोड़ एडल्ट्स को डायबिटीज है.
हीटवेव का डायबिटीज पेशेंट पर असर
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (University of Oxford, London School of Hygiene & Tropical Medicine), और लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी (Queen Mary University) के एंडोक्रिनोलॉजिस्ट (Endocrinologists) और रिसर्चर्स की एक टीम ने तर्क दिया कि जलवायु परिवर्तन से तापमान में इजाफा हो रहा है जिसकी कारण लू चलने की घटनाएं बढ़ रही हैं. डायबिटीज पेशेंट पर इसके असर को समझना पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है.
कैसे होता है असर?
रिसर्च में कहा गया है कि हार्मोन शरीर में पानी के संरक्षण, पसीना आना और सेल मेटाबॉलिज्म से गर्मी पैदा होने जैसे प्रॉसेस को कंट्रोल कर तकरीबन सभी बायोलॉजिकल फंक्शन में रोल अदा करते हैं. फिर भी हार्मोन के रिलीज और एक्शन पर एनवायरनमेंट फैक्टर्स के असर को अच्छी तरह से नहीं समझा नहीं गया है.
एंडोक्राइन हेल्थ पर असर
ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड में नूफ़ील्ड डिपार्टमेंट ऑफ वीमेन एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ (Nuffield Department of Women’s & Reproductive Health at Oxford, UK) के लीड ऑथर प्रोफेसर फादिल हन्नान (Fadil Hannan) ने कहा, “क्लाइमेट चेंज के कारण बढ़ी हुई गर्मी के संपर्क से एंडोक्राइन हेल्थ पर क्या असर पड़ सकता है, इसके बारे में अभी बेहद कम जानकारी है.”
एक्ट्रीम हीट कंडीशन से बचें
प्रोफेसर हन्नान ने बताया कि ये रिसर्च हॉट क्लाइमेट में रहने वाले पेशेंट के लिए जरूरी है. साथ ही ये हीट के एक्ट्रीम कंडीशन से सबसे ज्यादा रिस्क वाले इंडोक्राइन के लिए अर्ली इंटरवेंशन के टूल तैयार करने में मदद कर सकता है. टीम ने 1940 के दशक के बाद से छपी स्टडी को रिव्यू किया, जो ये इशारा करता है कि गर्मी के संपर्क में आने से स्ट्रेस रिस्पॉन्स, ब्लड शुगर कंट्रोल, फर्टिलिटी और ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन जैसे प्रॉसेस में शामिल हार्मोन प्रभावित होते हैं.
इस रिव्यू में एंडोक्राइन सिस्टम पर लगातार गर्मी के असर के बारे में सबूतों की कमी को उजागर किया गया है, जो खास तौर से डायबिटीज या थायरॉयड डिसऑर्डर जैसी एंडोक्राइन कंडीशन से पीड़ित लोगों की बढ़ती तादाद के लिए प्रासंगिक है क्योंकि इन लोगों में हाई टेम्प्रेचर को लेकर सेंसिटिविटी सीमित हो सकती है.
रिसर्चर्स ने पाया कि कुछ हार्मोनल डिसऑर्डर शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता को डिस्टर्ब कर सकते हैं, जिससे शरीर को ठंडा रखना मुश्किल हो जाता है. इन मरीजों के लिए गर्मी से जुड़ी बीमारियों और हॉस्पिटल में एडमिट होने का खतरा बढ़ जाता है. इससे हेल्थ सिस्ट पर हीट का प्रेशर भी बढ़ जाता है.
(इनपुट-आईएएनएस)