Kashi vishwanath dham new uttar pradesh pm narendra modi uttar pradesh yogi adityanath

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महेंद्र कुमार सिंहनए उत्तर प्रदेश की नई काशी सज रही है, सवंर रही है. सदियों के बाद एक अत्यंत सुखद क्षण आने वाला है. श्री काशी विश्वनाथ धाम (Shri Kashi Vishwanath Dham) का जीर्णोद्धार जो हो रहा है. यह एक ऐतिहासिक व अविस्मरणीय पल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) 13 दिसम्बर को 800 करोड़ रुपये की लागत से जीर्णोद्धार हो रहे बाबा विश्वनाथ के धाम का लोकार्पण करेंगे. ‘श्री काशी विश्वनाथ धाम’ का वर्तमान स्वरूप प्रधानमंत्री मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की भारत की आध्यात्मिक संस्कृति और परंपरा के संरक्षण व संवर्धन के संकल्प का प्रतिफल है. प्रधानमंत्री मोदी के विज़न एवं संकल्प को मुख्यमंत्री योगी ने धरातल पर उतारा है.
तीनों लोकों में सबसे न्यारी, भारत की आध्यात्मिक राजधानी, महामना मदन मोहन मालवीय की कर्मभूमि व विज्ञों नगरी, शास्त्रीय संगीत के घरानाओं की हृदय स्थली काशी की दुदर्शा किसी से छिपी नहीं थी. वैचारिक पूर्वाग्रहों व राजनीतिक उपेक्षा की वजह से पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा पावन धरती वाराणसी की कभी सुधि ही नहीं ली गई. मोदी और योगी का तो मानो काशी ‘अहिल्या’ की तरह अपने ‘राम’ की प्रतीक्षा कर रही थी कि वे आएं और उनका उद्धार करें.
आर्थिक व आध्यात्मिक विकास की आधारशिला काशी विश्वनाथ धामखैर, प्रतीक्षा सफल हुई. आज राष्ट्र को समर्पित हो रहा ‘काशी विश्वनाथ कॉरिडोर’ काशी की सांस्कृतिक, आर्थिक व आध्यात्मिक विकास की आधारशिला है. दरअसल यह कार्य भारतीय संस्कृति पर गर्व करने वाली विचारधारा की सरकार के ही सामर्थ्य की बात थी. अन्यथा काशी तो सबकी है. लेकिन जब राष्ट्रधर्म को ही अपना धर्म कहने वाली विचारधारा ने सरकार का स्वरूप लिया तो श्री अयोध्या जी में भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण, सरयू तट पर दीपोत्सव, काशी की दिव्य गंगा आरती, मथुरा की अलौकिक होली, योग को अंतरराष्ट्रीय मान्यता जैसे अप्रत्याशित कार्य भी सम्पन्न हुए और आज भारत पुनः विश्व की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक राजधानी बनने की दिशा में बढ़ चला है.
ध्यातव्य है कि मोदी और योगी का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद सिर्फ एक विचारधारा या राजनीतिक लक्ष्य की प्राप्ति मात्र तक सीमित नहीं है बल्कि दोनों राजनेता इसे विकास से, रोजगार से, जीविका से जोड़ रहे हैं. इन सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक महत्व के स्थलों को पुनर्जीवित, पुनर्स्थापित कर इन्हें एक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन केंद्रों की तरह विकसित किया जा रहा है, इन्हें एक्सप्रेसवे और एयरपोर्ट से जोड़ा जा रहा है, जिससे भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत, दर्शन और अध्यात्म में रुचि रखने वाले देश-विदेश के श्रद्धालुओं और सैलानियों को आकर्षित किया जा सके.
राजनीतिक उपेक्षा से अपनी चमक धमक खो रही थी काशी‘मंदिरों का शहर’, ‘भगवान शिव की नगरी’, विश्व के प्राचीनतम सुव्यवस्थित बसे नगरों में से एक माना जाने वाला काशी, वर्षों की राजनीतिक उपेक्षा से अपनी चमक धमक खो रहा था लेकिन आज वह अपने पुरातन गौरव को पुनर्स्थापित होते हुए देख रहा है. बाबा भोलेनाथ के मुख्य मंदिर के आस-पास की इमारतों के पीछे ढके सदियों पुराने चालीस मंदिर अब लोगों के दर्शन के लिए तैयार हैं. यही नहीं श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के पूर्ण निर्माण के बाद बाबा भोलेनाथ के मंदिर और गंगा मईया के बीच सीधा सम्पर्क स्थापित होगा.
यह कॉरीडोर राष्ट्रवादी चेतना के बहुआयामी संवाहक के रूप में प्रतिष्ठित होगा. एक ओर जहां कॉरिडोर में एक खंड काल में विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराने वाली महारानी अहिल्याबाई होल्कर की एक मूर्ति भी दिखाई देगी, वहीं दूसरी ओर कॉरिडोर में मंदिर चौक, वाराणसी सिटी गैलरी, संग्रहालय, बहुउद्देशीय सभागार, भक्त सुविधा केंद्र, जन सुविधा, मोक्ष गृह, गोदौलिया गेट, भोगशाला, पुजारियों और सेवादारों के लिए आश्रय स्थल का भी निर्माण हो रहा है.
अविरल गंगा के साथ बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए आने वाले विश्व भर के श्रद्धालुओं को अब बनारस इंटरनेशनल एयरपोर्ट से ही काशी की आभा दिखने लगेगी. लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को बनारस से जोड़कर नया लुक दिया जा रहा है. एयरपोर्ट के बाहर यात्रियों को शिव के डमरू और त्रिशूल के भी दर्शन होंगे.
यही नहीं पंचकोसी परिक्रमा रोड (श्रद्धालुओं एवं तीर्थयात्रियों के लिए) गंगा नदी पर पर्यटन विकास के लिए रो-रो वेसल्स और रिंग रोड का निर्माण कार्य तेजी से हो रहा है, जिससे बौद्ध तीर्थयात्रा के लिए महत्वपूर्ण स्थल सारनाथ तक सुगम यात्रा सुनिश्चित की जा सके. विश्व की प्राचीनतम नगरी काशी में अध्यात्म, कला, संस्कृति और संगीत की बुनियाद पर निर्मित 1200 सीटों वाला रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर वैश्विक कला संस्कृति का केंद्र बनेगा.
पूर्वांचल को पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित किया जा रहायोगी आदित्यनाथ की सरकार ने उपेक्षितों, वंचितों को विकास की मुख्यधारा में लाने का कार्य पूरी प्रतिबद्धता के साथ किया है, उसी श्रृंखला में राजनीतिक उपेक्षा के शिकार पूर्वी उत्तर प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए भागीरथी प्रयास करते हुए अनेक युगांतरकारी कार्य हुए हैं. जैसे तीर्थस्थलों से परिपूर्ण पूर्वांचल को पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित किया जा रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी ने 20 अक्टूबर को कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन किया. यह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय तीर्थयात्रियों को भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल पर जाने की सुविधा देगा और दुनिया भर के बौद्ध तीर्थस्थलों को जोड़ने की कोशिश है. कुशीनगर एयरपोर्ट का उद्घाटन जैसे क्षेत्र के लोगो का वर्षो पुराने सपने का साकार होने जैसा है.
इस क्षेत्र में स्थित अयोध्या, श्रावस्ती, गोरक्षनाथ पीठ, कुशीनगर, कपिलवस्तु, सारनाथ, विंध्यवासिनी, इलाहाबाद और वाराणसी को हवाई मार्ग व राजमार्ग से जोड़ने का कार्य हुआ है. 340.82 किमी. लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास को नई रफ्तार देगा जिसका उद्घाटन मोदी ने 16 नवंबर को किया. इन सभी विकास कार्यों से पूर्वांचल में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही क्षेत्र में निवेश और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.

‘विकास से वैभव’ के मंत्र को सुफलित करते हुए योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पूरा प्रदेश कायाकल्प की नई कहानी लिख रहा है. उसी शृंखला में ‘श्री काशी विश्वनाथ धाम’ मात्र एक निर्माण कार्य और जीर्णोद्धार भर नहीं बल्कि विश्व की पुरातन सभ्यता की आध्यात्मिक चेतना के सर्वाधिक शक्तिशाली केंद्र के पुनर्निर्माण का पुण्यकार्य है. यह हमारा सौभाग्य है कि हम सभी अपनी काशी के बनने-संवरने के साक्षी बन रहे हैं.
(महेंद्र कुमार सिंह वरिष्ठ स्तंभकार है और दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग में सहायक आचार्य है. यह लेखक के निजी विचार हैं.)

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