पीलीभीत. बांग्लादेश के वर्तमान हालात को देखते हुए पीलीभीत में बसे विस्थापित बांग्लादेशी हिंदुओं को अपनों का डर सताने लगा है. यह लोग 1971 में बांग्लादेश छोड़कर हिंदुस्तान चले आए थे और उनके कुछ रिश्तेदार वहीं पर रुक गए थे. आज रिश्तेदारों को लेकर यहां के लोग चिंतित हैं. 1971 में भारत-पाकिस्तान जंग के बाद पाकिस्तान का विभाजन हुआ. बांग्लादेश एक नए देश के रूप में उभरकर सामने आया. इस दौरान वहां पर बसे कई हिंदू परिवारों ने बांग्लादेश छोड़ दिया. विस्थापित बांग्लादेशी हिंदुओं को लाकर पीलीभीत में बसाया गया जिनकी जनसंख्या मौजूदा समय में तकरीबन 30 हजार से ज्यादा है. वहीं पीलीभीत के पूरनपुर तहसील में पड़ने वाले चंदिया हजारा गांव में 550 परिवार 1971 में आए थे. आज तकरीबन 1200 परिवार यहां रहते हैं. इनके रिश्तेदार आज भी बांग्लादेश में रहते हैं.मौजूदा समय में बांग्लादेश के हालात को देखते हुए इन लोगों को अपने रिश्तेदारों की चिंताएं सता रही हैं. ये लोग तकरीबन रोज अपने रिश्तेदारों से बांग्लादेश बात करते थे. पिछले चार दिनों से इन लोगों का अपने रिश्तेदारों से संपर्क कटा हुआ है जिसको लेकर उनकी चिंताएं बढ़ती चली जा रही हैं. कभी-कभी इनकी बात हो जाती है. मौजूदा समय में वहां के हालात अच्छे नहीं है और लगातार हिंदुओं और हिंदू मंदिरों पर कट्टरपंथी हमला कर रहे हैं. महिलाएं भी झुंड बनाकर सिर्फ और सिर्फ अपनों की बातें करती देखी जा सकती हैं. गांव के हालात यह है कि चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है.इधर, बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बीच, प्रधानमंत्री पद से शेख हसीना के इस्तीफा देने और देश छोड़ने के एक दिन बाद मंगलवार को संसद भंग कर दी. अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को बाद में एक पूर्ण अंतरिम सरकार की घोषणा की जाएगी. उन्होंने कहा कि संसद को भंग करने के राष्ट्रपति के कदम ने नये सिरे से आम चुनाव कराने का रास्ता साफ कर दिया है. प्रवक्ता ने कहा कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया (79) को नजरबंदी से रिहा कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि एक जुलाई से अबतक गिरफ्तार किये गए लोगों को रिहा करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और कई लोगों को पहले ही रिहा किया जा चुका है.FIRST PUBLISHED : August 6, 2024, 20:32 IST