इटावा. उत्तर प्रदेश के इटावा में एक बेहद खास मिलता है. इस डिश का लोग दीवाने हैं और पिछले 65 वर्षो से स्वाद के मामले में लोगों के दिलों पर राज कर रहा है. बच्चे से लेकर वृद्ध तक इस खास डिश के मुरीद हैं. इसका स्वाद चखने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं. पांच हजार से अधिक लोग रोजाना इस डिश का स्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं. इस डिश को मूंग के दाल को गलाकर बनाया जाता है और इसका नाम मूंग दाल का मंगोड़ा है. इस लजीज डिश को खाने के लिए आपको इटावा का उदी गांव में मान सिंह के पास आना होगा. रोजाना दो क्विंटल से अधिक की खपत है.
65 वर्षो से मंगोड़े के स्वाद का क्रेज है बरकरार
मूंग दाल का मंगोड़ा बेचने के लिए रोजना आठ छोटे ठेले लगाया जाता है. प्रतिदिन करीब 2 क्विंटल मूंग की दाल का उपयोग होता है. उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश और राजस्थान के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों से लोग इस डिश का स्वाद चखने के लिए इटावा जिले के उदी पहुंचते हैं. मूंग दाल का मंगोड़े बनाने की विधि भी रोचक है. इसी वजह है कि इसका स्वाद बेहद लाजवाब होता है. मंगोड़े को बनाने के लिए आधी पिसी हुई साबुत दाल के साथ बिना छिला और बिना कटा लहसन, अदरक और धनिया का प्रयोग किया जाता है. मंगोड़े को कड़ाही में पकाने के लिए सरसों के शुद्ध तेल का इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही साथ ऐसी चटनी बनाई जाती है, जिसको बड़े चाव से लोग खाते हैं. उदी गांव के ही रहने वाले मान सिंह ने करीब 65 साल पूर्व मूंग दाल के मांगोड़े बनाने सिलसिला शुरू किया था. एक ठेले से शुरू हुआ यह धंधा अब उनके परिवार के आठ सदस्यों के लिए कमाई का जरिया बन गया है.
उदी गांव के मंगोड़े का लोग हैं दीवाने
खड़ी मूंग दाल के मंगोडे का धंधा शुरु करने वाले मानसिंह के नाती अभिषेक सिंह ने बताया कि नाना ने करीब 65 साल पहले इस डिश को बनाना शुरू किया था. बड़ा परिवार होने के बाद अब 8 लोगों में बंट गया है. मंगोड़े को बनाने के लिए शुद्ध मूंग दाल के साथ लहसन, शुद्ध सरसों तेल का इस्तेमाल किया जाता है. लाजवाब और शानदार स्वाद के चलते लोग मंगोड़े को खाने के लिए यहां तक पहुंचते हैं. मध्य प्रदेश के भिंड की रहने वाली संगीता भदोरिया ने बताया कि उदी के मंगोड़े बेहद पसंद है, इसलिए यहां मंगोड़े का स्वाद लेने के लिए आते हैं. संगीता के साथ आई देव कुमारी भी उदी में बनने वाले मंगोड़े की मुरीद हैं. इटावा निवासी गजेंद्र सिंह परिहार ने बताया कि जिला मुख्यालय से करीब दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित उदी के लजीज मंगोड़े खाने के लिए सुबह से शाम तक लोग आते रहते हैं.
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