अंजू प्रजापति/रामपुर: फिल्मों से लेकर आम बातचीत में कभी न कभी आपने रामपुरी चाकू का जिक्र जरूर सुना होगा. जिसका जिक्र आते ही रामपुर की याद आ जाती है. भारत के प्रसिद्ध रामपुरी चाकू की कला 125 साल पुरानी है. रामपुरी चाकू यहां के कारीगरों की अनूठी पहचान रहा है. ऑटोमैटिक राइफल और अन्य आधुनिक हथियारों के इस दौर में हाथ से बने रामपुरी चाकू का पूरी दुनिया में कोई मुकाबला नहीं है. क्या आप जानते हैं इसे बनाने में किसी भी तरह से मशीन का इस्तेमाल नहीं होता. तभी तो इसे रामपुरी कहा जाता है. इसको बनाने में इस्तेमाल होने वाले लोहे की कटाई से लेकर धार निकालने तक का सारा काम हाथ से होता है. आज हम आपको बताएंगे रामपुरी चाकू कैसे तैयार किया जाता है.
आपको बता दें कि रामपुर में कई अलग-अलग डिजाइन और हैंडल वाले रामपुरी चाकू बनते हैं. इनमें पीतल के बट, नक्काशीदार स्टील ब्लेड, लोहे के ब्लेड और मछली के डिजाइन और विभिन्न तरह के हैंडल वाले अलग-अलग मैटेरियल और डिजाइन के चाकू रामपुर में मिलते हैं.
रामपुर के चाकू कारीगर मोहम्मद यामीन अंसारी बताते हैं कि रामपुरी चाकू को एक हिस्से में नहीं बनाया जाता है. इसे बनाने के लिए कई हिस्से तैयार किये जाते हैं. पहला, हत्था, कमर और ब्लेड, एक स्प्रिंग, बोल्ट और लॉक का भी इसमें इस्तेमाल होता है, जो कठोर उपयोग के बावजूद अपनी मजबूती बनाए रखता है. फोल्डिंग मैकेनिज्म, एक ऐसी विशेषता है जिसने चाकू के आकर्षण को बढ़ाया जाता है. यह चाकू खींच कर खोले जाते हैं, जो चट-चट- की आवाज के खुलते हैं. रामपुरी चाकू के हत्थे पर मछली की मोहर लगी होती है. चाकू कारीगर बताते हैं कि यह भले ही बटन से खुलता और बन्द होता है लेकिन, इसमें स्प्रिंग का इस्तेमाल नहीं होता. ये बटनदार चाकू बनाने का हुनर पूरी दुनिया में रामपुर के अलावा कही नहीं है. रामपुरी चाकू का पूरा साइज 10 इंच का होता है, जिसमें 5 इंच का ब्लेड और 5 इंच का हैंडिल होता है. ये इसका लीगल साइज है.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : August 5, 2024, 10:51 IST