रायबरेली. वैसे तो रायबरेली जिला पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान रखता है. स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आजादी मिलने तक यहां के लोगों का अपना एक अलग ही योगदान रहा है. देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का भी इस जनपद से गहरा लगाव रहा है. इसी वजह से इसे वीवीआईपी जिले के रूप में पहचाना जाता है. यहां पर मौजूद रेल कोच कारखाना भी इसके कद को और बढ़ा देता है. इसी कड़ी में रायबरेली जिले के जिला मुख्यालय से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजघाट पर बना एक ऐसा पुल जिसे यूपी का पहला प्राइवेट ब्रिज भी कहा जाता है. तो आइए जानते हैं इस ब्रिज को आखिर प्राइवेट ब्रिज क्यों कहा जाता है?
अंग्रेजी हुकूमत के दौरान लालगंज कस्बे को रायबरेली जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए सई नदी पर एक ब्रिज का निर्माण कराया गया. जिससे लोगों को जिला मुख्यालय पहुंचने में आसानी हो सके. समय के साथ ही इस पुल की हालत भी बदलती चली गई. किसी भी जिम्मेदार ने इसकी तरफ नजर उठाकर नहीं देखा. जिसका नतीजा है कि यह पुल भी जीर्ण-शीर्ण हो गया है. यह पल किसी भी समय ढह सकता है.
मनगढ़ंत है पहले प्राइवेट ब्रिज की कहानीसई नदीपर बने इस पुल के बारे में बात करते हुए रायबरेली के वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. राम बहादुर वर्मा ( पूर्व प्राचार्य फिरोज गांधी महाविद्यालय रायबरेली ) बताते हैं कि इस पुल के प्राइवेट ब्रिज होने की कहानी मनगढ़ंत है. इतिहास के पन्नों में इसका कहीं पर भी लिखित प्रमाण नहीं है. यह पुल लालगंज कस्बे को को उन्नाव, फतेहपुर , कानपुर , लखनऊ जिलों से जोड़ता है. एनएचएआई द्वारा पुराने पुल के बगल में ही लोगों की सुविधा के लिए दूसरा नया पुल तो बना दिया गया. लेकिन पुराने पुल की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
नहीं है कोई लिखित प्रमाणडॉ राम बहादुर वर्मा बताते हैं कि इस पुल के प्राइवेट ब्रिज होने के किसी भी इतिहास की किताब में लिखित प्रमाण नहीं है. इसीलिए यह कहना न्याय उचित नहीं है कि यह प्राइवेट ब्रिज है. अंग्रेजी हुकूमत के समय रायबरेली के उत्तरी छोर पर स्थित लालगंज बैसवारा, भीरा गोविंदपुर ,डौंडिया खेड़ा का अहम योगदान है यह कहना न्याय उचित नहीं है कि इस पुल का निर्माण उस समय के स्थानीय राजाओं एवं तालुकेदारों ने कराया था.
Tags: Local18, Rae Bareli News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : July 27, 2024, 17:21 IST