मुजफ्फरनगर. कांवड़ मेले के दौरान दुकानों के बाहर नाम के बोर्ड लगाने को लेकर सोमवार को जैसे ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश आए तो मानो मुजफ्फरनगर जनपद के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई. नगर के मेरठ रोड पर फलों के ठेले और पान की दुकान लगाने वाले दुकानदारों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक फैसला बताया. कोर्ट का शुक्रिया अदाकर अपनी दुकान और ठेलों से नाम के बोर्ड हटा दिए, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इन लोगों का कहना है कि ये बोर्ड परमानेंट के लिए हट जाने चाहिए, इससे दुकानदारी घट गई थी और अब इंशाल्लाह काम ठीक रहेगा. फलों का ठेला लगाने वाले निसार ने कहा, ‘हमने नेम प्लेट हटा दी है और सुप्रीम कोर्ट का हम शुक्रिया अदा करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने हमारे हक में फैसला किया है. हमें बहुत अच्छा लग रहा है. बस दिक्कत तो कुछ नहीं थी लेकिन थोड़ा सा काम पर फर्क तो पड़ ही रहा था. अब फर्क नहीं पड़ेगा. पहले की तरह ही काम चलेगा, यह परमानेंट के लिए ही हट जाने चाहिए.’
पान की दुकान लगाने वाले शाहआलम का कहना है कि यह न्यायालय का बहुत ही ऐतिहासिक फैसला है. हमें बहुत खुशी महसूस हो रही है. हमने बोर्ड हटा दिए हैं. देखिए यह तो भेदभाव था. यह बोर्ड तों परमानेंट हट जाने चाहिए, इससे कारोबार पर बहुत गलत असर पड़ रहा था जिससे दुकानदारी घट गई थी. इंशाल्लाह अब काम ठीक रहेगा.
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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों द्वारा जारी उन निर्देशों पर सोमवार को अंतरिम रोक लगा दी, जिनमें कांवड़ यात्रा मार्गों पर स्थित होटल, दुकानदारों को अपने मालिकों, कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था. मध्य प्रदेश में भी उज्जैन नगर निगम ने भी दुकानदारों को दुकन के बाहर नाम और मोबाइल नंबर प्रदर्शित करने का शनिवार को निर्देश दिया था. विपक्ष ने आरोप लगाया था कि इन निर्देशों का उद्देश्य धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देना है. आरएलडी ने भी इस आदेश को वापस लेने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी किया है. पीठ ने कहा कि होटलों के लिए यह प्रदर्शित करना आवश्यक किया जा सकता है कि वे किस प्रकार का भोजन परोस रहे हैं, जैसे कि वे शाकाहारी हैं या मांसाहारी.
हिंदू कैलेंडर के सावन महीने की शुरुआत के साथ सोमवार को शुरू हुई कांवड़ यात्रा के लिए कई राज्यों में व्यापक इंतजाम किए गए हैं. सावन में लाखों शिव भक्त हरिद्वार में गंगा से पवित्र जल अपने घरों को ले जाते हैं और रास्ते में शिव मंदिरों में इसे चढ़ाते हैं. कई श्रद्धालु पवित्र माने जाने वाले इस महीने में मांस का सेवन वर्जित मानते हैं. राज्य सरकारों के नाम प्रदर्शित करने संबंधी निर्देशों को लेकर विवाद छिड़ गया था. इस मसले पर आगे की सुनवाई शुक्रवार को होगी.
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों के निर्देश को चुनौती देने वाली सांसद महुआ मोइत्रा, शिक्षाविद अपूर्वानंद झा, स्तंभकार आकार पटेल और गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स’ की याचिका समेत कई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया. पीठ ने सुनवाई की शुरुआत में मोइत्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से पूछा कि क्या इस मामले में कोई औपचारिक आदेश पारित किया गया है. सिंघवी ने कहा कि भोजनालयों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के संबंध में एक ‘परोक्ष’ आदेश पारित किया गया है. सिंघवी ने कहा कि भोजनालयों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने संबंधी उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड का आदेश ‘पहचान के आधार पर बहिष्कार’ है और यह संविधान के खिलाफ है.
Tags: Muzaffarnagar news, UP newsFIRST PUBLISHED : July 22, 2024, 19:44 IST