A viral book made Professor Alok Rai the youngest Vice Chancellor of Lucknow University, know how Prof. Rai brought international recognition to Lucknow University.

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A viral book made Professor Alok Rai the youngest Vice Chancellor of Lucknow University, know how Prof. Rai brought international recognition to Lucknow University.

अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ: राजधानी लखनऊ विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति प्रोफेसर आलोक राय का नाम शिक्षा काफी मशहूर है. 100 साल से ज्यादा पुराने लखनऊ विश्वविद्यालय को 30 दिसंबर 2019 को एक ऐसा कुलपति मिला, जिसने लखनऊ विश्वविद्यालय की काया पलट दी.  उन्होंने विश्वविद्यालय को न सिर्फ (NAAC) में A++ की ग्रेडिंग दिलाई, बल्कि पोस्ट ग्रेजुएशन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय भी बनाया.

विश्वविद्यालय को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचानयही नहीं प्रोफेसर आलोक राय ने ही लखनऊ विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई. यही वजह है कि इस साल 1800 विदेशी छात्र-छात्राओं ने लखनऊ विश्वविद्यालय में आवेदन किया और 76 देश के छात्र-छात्राओं ने यहां आवेदन किया है. यही नहीं प्रोफेसर आलोक राय ऐसे कुलपति हैं, जिन्होंने मात्र 45 साल की उम्र में लखनऊ विश्वविद्यालय में कुलपति की गद्दी संभाली. प्रोफेसर आलोक राय को लखनऊ विश्वविद्यालय का सबसे युवा कुलपति भी कहा जाता है.

कुलपति के पिता थे इंजीनियरबात करें अगर उनके निजी जीवन की, तो प्रोफेसर आलोक राय के पिता उत्तर प्रदेश सरकार में ही इंजीनियर थे. मां गृहिणी हैं. माता-पिता अब प्रोफेसर राय के साथ ही रहते हैं. प्रोफेसर राय की एक बेटी है, जो कि कक्षा तीन में है और बेटा 12वीं कक्षा का छात्र है. आज लखनऊ विश्वविद्यालय क्यूएस, नेचर इंडेक्स, टाइम्स हायर एजुकेशन, एडुरैंक, यूनीरैंक, एससीआईमैगो और एनआईआरएफ रैंकिंग जैसी कई प्रतिष्ठित रैंकिंग में अपनी जगह बना चुका है. प्रो राय ने बताया कि विश्वविद्यालय को ऊंचाइयों तक ले जाने में सबसे ज्यादा सहयोग उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया.

 एक वायरल किताब से मिली ख्यातिलखनऊ विश्वविद्यालय का कुलपति बनने से पहले प्रोफेसर आलोक कुमार राय बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रबंधन अध्ययन संस्थान में प्रबंधन के प्रोफेसर रहे. प्रोफेसर ने बताया कि वह शिक्षा जगत में कभी भी नहीं जाना चाहते थे. उनके परिवार में भी कभी कोई प्राइमरी टीचर भी नहीं रहा. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से इन्होंने मैनेजमेंट की पढ़ाई की और मुंबई चले गए.

प्रोफेसर ने बताया कि वहां 6 महीने नौकरी की, लेकिन मन ना लगने की वजह से दोबारा बनारस आ गए और पढ़ाने हुए रिसर्च करने लगे. इसी दौरान दिल्ली में एक कॉन्फ्रेंस आयोजित थी. उस कॉन्फ्रेंस में वह पहुंचे, जो उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई. वहां पर इन्होंने ग्राहक संबंध प्रबंधन पर एक व्याख्यान सुना, जिसमें उनकी दिलचस्पी बढ़ी और इन्होंने बनारस आकर इस पर रिसर्च शुरू की.

प्रोफेसर ने बताया कि रिसर्च पूरी होने के बाद इन्होंने अपनी पहली किताब ग्राहक संबंध प्रबंधन लिखी, जिसे एक बड़े पब्लिकेशन ने पब्लिश किया. आलम यह रहा की यह विषय लोगों को इतना पसंद आया कि गुजरात यूनिवर्सिटी में बीकॉम, मुंबई यूनिवर्सिटी में एमकॉम और आंध्र प्रदेश की जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में बीटेक में इसे सिलेबस के तौर पर पढ़ाया जाने लगा. यह किताब इतनी ज्यादा लोगों को पसंद आई की प्रोफेसर राय को इससे एक नई और अच्छी पहचान शिक्षा जगत में मिल गई.

यूनिवर्सिटी को मिलने जा रहा 100 करोड़ का फंडप्रोफेसर आलोक राय ने बताया कि प्रधानमंत्री उषा योजना में भी पहली रैंक लखनऊ विश्वविद्यालय को हासिल हुई है, जिसके तहत लगभग 100 करोड़ का फंड लखनऊ विश्वविद्यालय को मिलने जा रहा है. यह भी विश्वविद्यालय के हित में एक बड़ा बदलाव लेकर आएगा. प्रोफेसर ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय की कायाकल्प में कोविड-19 का वक्त सबसे महत्वपूर्ण रहा. क्योंकि उसी वक्त इन्होंने यहां पर अपना कार्य भार संभाला था.

लखनऊ यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर बढ़ा ट्रैफिकऐसे में लखनऊ विश्वविद्यालय को सोशल मीडिया से लेकर वेबसाइट तक अपडेट किया गया. ताकि छात्र-छात्राओं को सारी जानकारी मिल सके और वो अपनी पढ़ाई जारी रख सकें. अब लखनऊ विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर इतना ट्राफिक होता है कि इसे संभालना भी मुश्किल हो जाता है.
Tags: Local18, Lucknow city, Lucknow latest news, Lucknow news, Lucknow News Today, Lucknow News UpdateFIRST PUBLISHED : July 8, 2024, 18:29 IST

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