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हाइलाइट्सकोर्ट ने कहा कर्मचारी को पेंशन देना उसकी लंबी सेवा का पुरस्कार भी नहीं हैंबल्कि यह सरकार का बाध्यकारी दायित्व है, अधिकार के रूप में जिसका दावा किया जा सकता हैप्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पेंशन सहित सेवानिवृत्ति परिलाभ देना सरकार का वरदान, आशीर्वाद या कृपा नहीं है, बल्कि यह कर्मचारियों का विधिक अधिकार है और बिना किसी औचित्य के इसे देने से इनकार नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने केआर. सुंदरम बनाम तमिलनाडु राज्य व अन्य कई केसों में सुप्रीम कोर्ट के दिये गये फैसलो का हवाला भी दिया. कोर्ट ने कहा कर्मचारी को पेंशन देना उसकी लंबी सेवा का पुरस्कार भी नहीं हैं, बल्कि यह सरकार का बाध्यकारी दायित्व है, अधिकार के रूप में जिसका दावा किया जा सकता है.

हाईकोर्ट ने नगर आयुक्त नगर निगम कानपुर नगर से पूछा है कि दिसंबर, 2023 तक ऐसे कितने कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जिन्हें सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान नहीं किए गए हैं और पेंशन को लेकर कितनी याचिकाएं हाईकोर्ट में लंबित हैं. हाईकोर्ट ने कुछ लंबित याचिकाओं का उल्लेख करते हुए जानकारी मांगी है कि अभी तक सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान करने के लिए क्या कार्रवाई की गई है. याचिका की अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी. यह आदेश जस्टिस प्रकाश पाडिया की सिंगल बेंच ने श्रीमती छाया की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. हाईकोर्ट ने अगली तिथि पर नगर आयुक्त को हाजिर होने का निर्देश दिया है.

याची छाया के पति निगम में सफाईकर्मी थे, जिन्हें सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान नहीं किया गया तो याचिका दायर की गई. कोर्ट ने नगर आयुक्त से पूरी जानकारी के साथ व्यक्तिगत हलफनामा मांगा और तलब किया था. हलफनामा दाखिल किया गया किंतु इसमें सेवानिवृत्ति परिलाभों के बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया. केवल लिखा कि एलआईसी लखनऊ को बीमा राशि भुगतान के लिए 23 मार्च 24 को लिखा गया है. कोर्ट सफाई से संतुष्ट नहीं हुई. कोर्ट ने कहा इस तरह की तमाम याचिकाएं कोर्ट में दाखिल हो रही है, जिनमें सेवानिवृत्ति परिलाभों के भुगतान का समादेश जारी करने की मांग की गई है. दर्जनों याचिकाएं आज भी लगी है. जिस पर कोर्ट ने कहा पेंशन आदि पाना कर्मचारी का अधिकार है, कोई कृपा, दया नहीं है. समय से भुगतान किया जाना चाहिए.
.Tags: Allahabad high court, UP latest newsFIRST PUBLISHED : April 3, 2024, 06:33 IST

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