सृजित अवस्थी/ पीलीभीत: बीते दिनों पीलीभीत में पंडरी गांव में एक से अधिक बाघों की दहशत देखी जा रही थी. लेकिन अब पंडरी के साथ ही साथ पीलीभीत के अलग-अलग इलाकों में बाघों की मौजूदगी की खबर सामने आ रही हैं. वहीं बाघों की मौजूदगी से सबसे अधिक प्रभावित किसान हो रहे हैं .
पीलीभीत जिला प्रदेश भर में कृषि उत्पादन में अधिक योगदान देने वाले प्रमुख जिलों में से एक है. जिले में मुख्य तौर पर धान और गन्ने का उत्पादन किया जाता है. लेकिन जिले में कई इलाके ऐसे हैं जहां हर साल फसलों की कटाई प्रभावित होती है. वहीं इस रुकावट के पीछे का कारण भी कोई प्राकृतिक आपदा या इंसान नहीं बल्कि वन्यजीव हैं. दरअसल, पीलीभीत जिले में टाइगर रिजर्व से सटे कई इलाकों में बाघ डेरा जमाए रहते हैं. यह बाघ गन्ने व धान की फसलों में छिपते हैं. ऐसे में फसलों की कटाई के दौरान मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति बन जाती हैं.
पीलीभीत के इन गांवों में बाघ की दहशतबीते तकरीबन 2 महीनों में पीलीभीत के पंडरी गांव में बाघों की मौजूदगी देखी जा रही थी. 19 फरवरी को बाघ के हमले में युवक की जान भी चली गई. इस घटना के बाद से ही पंडरी गांव में बाघों की दहशत के चलते किसान खेत पर जाने से कतराने लगे थे. वहीं बीते गुरुवार पंडरी गांव से कुछ ही दूरी पर स्थित हरकिशनापुर गांव में एक युवक पर बाघ हमलावर हो गया. बाघ के हमले में युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था.
कलीनगर में बाघ की चहलकदमीवहीं शुक्रवार शाम कलीनगर इलाके के मथना जब्ती गांव में भी बाघ की चहलकदमी देखी गई. ये सभी इलाके मुख्य रूप से कृषि प्रधान हैं. एक तरफ जहां गन्ने की कटाई चल रही है वहीं फसल काट चुके लोग दूसरी फसल की तैयारी में जुट गए हैं. सरसों की फसल भी पक कर तैयार हो गई है. लेकिन बाघ की दहशत के चलते ये सभी कृषि कार्य प्रभावित हो रहे हैं.
हाथियों की मदद से बाघ पर निगरानीअधिक जानकारी देते हुए पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि पंडरी इलाके में हाथियों की मदद से निगरानी की जा रही है. ग्रामीणों को जागरूक भी किया जा रहा है.
.Tags: Local18, Pilibhit news, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : March 16, 2024, 19:34 IST
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