संजय यादव/बाराबंकी: उत्तर प्रदेश का बाराबंकी जिला कभी मेंथा, अफीम और केले की खेती के लिए प्रसिद्ध हुआ करता था. लेकिन कुछ वर्षों से यह सब्जियों की खेती की बेल्ट के रूप में भी पहचान बना रहा है. जिले के ज्यादातर युवा किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक तकनीक से सब्जियों की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. वहीं जिले के एक युवा किसान आईपीएम विधि से टमाटर समेत कई सब्जियों की खेती कर रहा है. इस खेती में वह जैविक खाद का प्रयोग से अच्छी पैदावार कर रहा है.
बाराबंकी जिले के ब्लॉक मसौली क्षेत्र के पलहरी गांव के रहने वाले आनंद मौर्या ने सब्जियों की खेती के माध्यम से अपनी किस्मत बदल दी है. वह आज करीब तीन बीघे में आईपीएम विधि से टमाटर आदि की खेती कर रहा है. जिसमें उन्हें प्रतिवर्ष लगभग दो से तीन लाख रुपए का मुनाफा हो रहा है. इस नई तकनीक से हो रही खेती को देखकर गांव के अन्य किसान भी इन्हीं की तरह खेती करने लगे हैं और इस खेती से उन्हें अच्छा मुनाफा भी हो रहा है.
कीटनाशक दवाइयां नहीं डालनी पड़ती
आनंद कुमार मौर्या ने बताया कि पहले हम धान, गेहूं आदि की खेती करते थे. उसके बाद वह सब्जियों की खेती की तरफ बढ़े तो पता लगा कि सब्जियों की खेती में काफी लाभ है. आज मैं करीब तीन बीघे में आईपीएम विधि से टमाटर की खेती कर रहा हूं. आईपीएम विधि से कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कम करना पड़ता है और कम लागत में अच्छी उपज हो जाती है. इन सब्जियों में हम जैविक खाद का उपयोग करते हैं और इस खेती में जो लागत है करीब एक बीघे में 15 से 16 हजार रुपये आती है और मुनाफा करीब ढाई से तीन लाख रुपये तक हो जाता है.
आईपीएम तकनीक से सब्जियों की खेती
एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन (आईपीएम) को इंट्रीगेटिट पेस्ट कंट्रोल भी कहते हैं. यह फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को कंट्रोल करने की सस्ती विधि है. इस तकनीक से कीटों की संख्या एक सीमा के नीचे बनाए रखी जा सकती है, जहां फसल को नुकसान नहीं होता है. आज के समय में हम लोग केमिकल युक्त सब्जियां खाकर बीमार हो रहे हैं. उससे बचने का यह बहुत ही बढ़िया तरीका निकाला है. इस विधि से जो सब्जियां होती हैं वह बहुत ही अच्छी निकलती हैं और उसमें किसी प्रकार का केमिकल भी नहीं होता.
.Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : March 14, 2024, 10:38 IST
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