कभी ‘पत्ता मोहल्ला’ के नाम से जाना जाता था…यहां बनते थे पत्तल, अब सिर्फ एक घर तक सीमित रह गया कारोबार

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कभी 'पत्ता मोहल्ला' के नाम से जाना जाता था...यहां बनते थे पत्तल, अब सिर्फ एक घर तक सीमित रह गया कारोबार



विशाल भटनागर/मेरठ : पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ में विभिन्न परंपराओं के नाम से ही मेरठ के मोहल्लों के नाम का उल्लेख है. कुछ इसी तरह सदर स्थित पत्ता मोहल्ला भी अपने आप में उल्लेखनीय है. पहले यहां हर घर में पत्ते बनाने का कारोबार किया जाता था. जो सिमटकर एक घर में सीमित रह गया है.

पत्ता मोहल्ले में पत्तल बनाने वाले योगेंद्र बताते हैं कि वह चार पीढ़ी से पत्तल बनाने का कारोबार करते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस मोहल्ले से कभी 40 परिवार इसी कारोबार से जुड़े हुए थे. दिल्ली में बड़ी मात्रा में ट्रक भर कर पत्ते जाया करते थे. लेकिन अब यह कारोबार सीमित रह गया. जिस तरीके से विभिन्न प्रकार की क्रोकरी आने लगी है. ऐसे में अब इस कारोबार से लोग धीरे-धीरे हटते जा रहे हैं. लेकिन वह अपनी परंपरा से अभी जुड़े हुए हैं.

वह बताते हैं यहां पर बनने वाले पत्ते देश भर के विभिन्न हिस्सों में जाते हैं. हालांकि वह कहते हैं कि अगर सरकार द्वारा इसमें प्रोत्साहन दिया जाए. तो एक बार फिर से इस परंपरा में जान आ सकती है.

बेहद उपयोगी है यह पत्तेपत्तल बनाने वाले महेश कुमार ने कहा,  ‘यह जो पत्ते होते हैं वह ढाक अर्थात पलाश के पेड़ के माध्यम से पत्तल तैयार किए जाते हैं. नीम की जो सीक के माध्यम से इन्हें तैयार किया जाता है. इन पत्तों की अगर बात की जाए तो अगर कोई भी पारिवारिक कार्यक्रम के बाद इन पत्तों को अगर आप एक जगह एकत्रित कर दें. तो यह खाद्य स्वरूप ले लेते हैं. जो की विभिन्न गमलों और कृषि के लिए भी काफी फायदेमंद होती है’.

कोई नुकसान नहींवहीं वह कहते हैं कि अगर आपने इन्हें कहीं सड़क किनारे भी रख दिया. तो कोई भी गोवंश अगर इनको खाता है. तो उन्हें भी किसी प्रकार से नुकसान नहीं होगा. बल्कि एक आयुर्वेदिक पत्ता होता है. जिससे कि जानवरों के लिए भी बेहद खास है.
.Tags: Local18, Meerut news, UP newsFIRST PUBLISHED : March 12, 2024, 11:42 IST



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