शाश्वत सिंह/झांसी : दुनिया तेजी से बदल रही है. हर काम का तरीका बदल रहा है. कृषि क्षेत्र में भी बड़े बदलाव आ रहे हैं. अधिकतर किसान पारंपरिक खेती से निकलकर कुछ नया प्रयोग कर रहे हैं. लेकिन, नए प्रयोग करने में कई खतरे भी होते हैं. यह जरूरी नहीं की किसान जो योजना बनाता है वह हमेशा सही साबित होगा. ऐसे में किसान को नुकसान भी उठाना पड़ता है. किसान को इस नुकसान से बचाने के लिए इंटीग्रेटेड फार्मिंग का कॉन्सेप्ट लाया गया.
इंटीग्रेटेड फार्मिंग मॉडल के तहत किसान एक ही खेत में तरह-तरह की फसल उगाने के साथ-साथ खाली बचे खेत में पशुपालन, तालाब बनाकर मछली पालन और मुर्गी पालन जैसे काम कर सकते हैं. किसी एक फसल को लगाने में किसानों का खतरा अधिक होता है. वहीं अगर छोटे किसान एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाते हैं, तो उन्हें खेती के अलावा भी आमदनी का बेहतर स्रोत मिल जाता है.
छात्रों ने तैयार किया कृषि मॉडलझांसी के रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों ने इंटीग्रेटेड फार्मिंग का एक बेहद खास मॉडल तैयार किया है. इस मॉडल में किसानों को समझाया गया है कि वह कम कृषि क्षेत्र में भी अधिक मुनाफा कैसे कमा सकते हैं. टीम के सदस्य लोकेश सैनी ने बताया कि बुंदेलखंड में छोटे किसान भी ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. किसान अपने खेत के ही पास एक छोटा किचन गार्डन बना सकते हैं. इसके बगल में ही किसान अपनी खेती कर सकता है. खेत के एक हिस्से में पशु पालन भी किया जा सकता है.
क्या है इंटीग्रेटेड फार्मिंग?लोकेश ने बताया कि पशुओं के गोबर को खाद बनाया जा सकता है. किसान इस खाद को अपने खेत में इस्तेमाल करने के साथ ही बाजार में भी बेच सकते हैं. खेत के एक हिस्से में किसान मुर्गी पालन कर सकते हैं. खेत से निकलने वाले अवशेष को मुर्गी का भोजन हो सकता है. मुर्गी पालन के ठीक नीचे मछली पालन की व्यवस्था भी की जा सकती है. लोकेश ने बताया कि अगर किसान पूरे पद्धति का पालन करेंगे तो कम क्षेत्र में ज्यादा कमाई कर सकते हैं.
.Tags: Agriculture, Jhansi news, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : February 21, 2024, 16:14 IST
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