मध्य प्रदेश के रायसेन जिले की एक घटना देशभर के लिए सबक गई है. जिले में तीन साल के एक बच्चे को थैलेसीमिया (thalassemia) के इलाज के दौरान अस्पताल ने उसके पिता से खून का इंतजाम करने को कहा. इस घटना को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग NCPCR ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है. आयोग ने ऐसे मरीजों को फ्री में खून चढ़ाने का आदेश दिया है.
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखा पत्रNCPCR के अध्यक्ष प्रियंकर कानूनगो ने कहा कि उन्हें ऐसे एक मामले की जानकारी मिली है, जहां मध्य प्रदेश में इलाज के दौरान बच्चे के परिवार से अस्पताल ने खून की थैली उपलब्ध कराने को कहा था. उन्होंने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिवों को पत्र लिखकर कहा है कि वे अस्पतालों को ऐसे मरीजों को मुफ्त में खून चढ़ाने और स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों का पालन सख्ती से करने के लिए सर्कुलर जारी करें.
निजी ब्लड सेंटर भी होगा अनिवार्यकानूनगो ने अपने पत्र में कहा, “थैलेसीमिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, खासकर बच्चों के लिए तो और भी बड़ी बात है. इसके लिए विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है.” उन्होंने पिछले साल जून में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के उस पत्र का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि “सभी सरकारी और निजी ब्लड सेंटर के लिए यह अनिवार्य है कि वे थैलेसीमिया के मरीजों को मुफ्त में खून की व्यवस्था करें.”
अध्यक्ष प्रियंकर कानूनगो ने ये भी कहा की इस बीमारी की विशेष देखभाल करने की जरूरत होती है. उन्होंने इसके बारे में राज्य सरकारों से अपील किया है कि वो अपने अस्पताल में इन नियमों का पालन करवाएं. साथ ही राज्यों से इस पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी मांगी है.
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