बदलते मौसम में फायदेमंद है इन सब्जियों की खेती… हो जाएंगे मालामाल, एक्सपर्ट से जानें तकनीक

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बदलते मौसम में फायदेमंद है इन सब्जियों की खेती... हो जाएंगे मालामाल, एक्सपर्ट से जानें तकनीक



सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर: उत्तर प्रदेश में मौसम बदल रहा है. फरवरी के महीने में पारे का बढ़ना जारी है. दिन की तुलना में रात का तापमान तेजी से चढ़ रहा है. सोमवार को तीखी धूप के बीच अधिकतम तापमान में एक डिग्री की बढ़ोतरी रही और यह 26.6 डिग्री सेल्सियस रहा. रात का पारा 11.2 डिग्री तक पहुंच गया. तापमान में बढ़ती गर्माहट बेल वाली (कद्दू वर्गीय) सब्जियों की खेती के लिए सही समय माना जाता है. बेल वाली फसलों में लौकी, तोरई, पेठा, टिडा, करेला का उपयोग सब्जी के रूप में तो खीरा व ककड़ी को सलाद के रूप में किया जाता है

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि फरवरी के दूसरे सप्ताह से लेकर मार्च भर में बेल वाली फसलों सब्जियों की खेती की जाए तो किसान इन सब्ज़ियों से अधिक मुनाफा ले सकते हैं. इन सब्जियों को उगाने के लिए किसानों को कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है. जिससे उनको अच्छा उत्पादन मिलेगा. कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के उद्यान वैज्ञानिक डॉ. महेश कुमार ने बताया कि लौकी, कद्दू, करेला, खीरा, तरबूज और टिंडा उगा कर किसान अच्छी आमदनी ले सकते हैं. अभी फरवरी का दूसरा सप्ताह चल रहा है. इन सब्जियों को उगाने के लिए मार्च तक सही समय माना जाता है.

ऐसे करें खाद का इस्तेमालडॉ. महेश कुमार ने बताया कि बेल वाली (कद्दू वर्गीय) सब्जियों को उगाने के लिए सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से जोत कर तैयार कर लेना चाहिए. उसके बाद इसमें 10 से 15 टन गोबर की सड़ी हुई खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में मिला दें. उसके बाद 80 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो पोटाश और 50 किलो फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डाल दें. उर्वरक डालने के बाद 45 सेंटीमीटर चौड़ी, 30 से 40 सेंटीमीटर गहरी नालियां बना लें. नाली से नाली की दूरी सब्जियों की बेल के आधार पर 1 से 5 मीटर तक रखी जा सकती है.

बीज का शोधन जरूरीडॉ. महेश कुमार ने बताया कि खेत तैयार होने के बाद बीज का शोध करना बहुत जरूरी है. क्योंकि अगर बीज शोध करके नहीं बोएंगे तो सब्जियों में कीट अधिक लगने का खतरा बना रहता है . जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है. ऐसे में दो ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से थीरम से बीज को शोध लें.

खेत में नमी बनाएं रखना जरूरीडॉ. महेश कुमार ने बताया कि लौकी, कद्दू और करेला की बुवाई के लिए 4 से 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बीज की बुवाई करें. तो वहीं खीरे के लिए तो 2 से 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टर के हिसाब से बीज का इस्तेमाल करें. डॉ महेश कुमार ने बताया कि बीज की बुवाई करने के बाद खेत में नमी बनाए रखने के लिए समय समय पर सिंचाई करते रहें.
.Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : February 13, 2024, 20:41 IST



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