वजन घटाने की जर्नी में नियमित वर्कआउट का अहम किरदार है. ये न सिर्फ कैलोरी बर्न करने में मदद करती हैं, बल्कि फैट कम करती हैं और मेटाबॉलिज्म बेहतर बनाती हैं. लेकिन सही तरह की एक्सरसाइज का चुनाव न करने से वजन घटाना मुश्किल हो सकता है.
कार्डियो और वेट लिफ्टिंग के बीच वजन घटाने के लिए कौन सी बेहतर है, इसे लेकर हमेशा बहस चलती रहती है. आज हम आपको दोनों के फायदे और कमियां बताएंगे, ताकि आप अपने लिए सही चुनाव कर सकें.कार्डियो: कैलोरी बर्निंग की मशीनकार्डियो में दौड़ना, साइकिल चलाना, तैराकी और तेज चलना जैसी एक्टिविटी शामिल हैं. ये कैलोरी जलाने के लिए बेहतरीन हैं. थोड़े समय में ही ये काफी कैलोरी बर्न कर सकती हैं. लेकिन समय के साथ शरीर को कार्डियो की आदत हो जाती है, जिससे वजन कम होने में रूकावट आ सकती है. इसलिए लगातार वृद्धि के लिए वर्कआउट में बदलाव करना, तीव्रता बढ़ाना या अन्य एक्सरसाइज शामिल करना जरूरी है.
फायदे- अधिक कैलोरी बर्न- दिल की सेहत बेहतर होती है- फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है- सहनशीलता बढ़ती है
कमियां- लंबे समय में वजन घटाने की रफ्तार धीमी हो सकती है- मांसपेशियों को मजबूती नहीं मिलती
वेट लिफ्टिंग: मांसपेशियों को मजबूत बनाएं, मेटाबॉलिज्म बढ़ाएंवेट लिफ्टिंग या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग में वजन या रेजिस्टेंस बैंड का उपयोग करके मसल्स की ताकत और सहनशक्ति बढ़ाई जाती है. मांसपेशियां बढ़ने से शरीर का बेसल मेटाबॉलिक रेट (आराम के दौरान कैलोरी बर्न करने की संख्या) बढ़ जाता है, जिससे वजन कम करने और लंबे समय तक वजन बनाए रखने में मदद मिलती है.
फायदे- मसल्स मजबूत होते हैं- मेटाबॉलिज्म बढ़ता है- शरीर का आकार बेहतर होता है- चोट लगने का खतरा कम होता है- हड्डियां मजबूत होती हैं
कमियांशुरुआत में थकान महसूस हो सकती हैसीखने में समय लग सकता है
तो आपके लिए क्या बेहतर है?यह पूरी तरह से आपके टारगेट और पसंद पर निर्भर करता है. अगर आप सिर्फ कैलोरी बर्न और सहनशक्ति बढ़ाना चाहते हैं, तो कार्डियो अच्छा विकल्प है. लेकिन अगर आप मसल्स मजबूत करना, मेटाबॉलिज्म बढ़ाना और शरीर को आकार देना चाहते हैं, तो वेट लिफ्टिंग बेहतर है. सबसे अच्छा तरीका है कि आप दोनों को मिलाकर एक बैलेंस वर्कआउट रूटीन बनाएं. इससे आपको दिल की सेहत, मसल्स को टोन और फिजिकल परफॉर्मेंस में सुधार जैसे कई लाभ मिलेंगे. याद रखें, फिटनेस का कोई एक रास्ता नहीं है. अपने शरीर को सुनें, अपनी पसंद का चुनाव करें और एक बैलेंस वर्कआउट रूटीन बनाएं.