किन्नर संत की गजब कहानी… हज करने वाली शबनम से अखाड़े की महामंडलेश्वर बनी भवानी मां

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किन्नर संत की गजब कहानी... हज करने वाली शबनम से अखाड़े की महामंडलेश्वर बनी भवानी मां



रजनीश यादव/ प्रयागराज : माघ मेला में संगम किनारे देशभर के अखाड़े अपना शिविर लगाते हैं और सनातन के प्रचार प्रसार के लिए कथा भी करते हैं. इन अखाड़ों के महामंडलेश्वर भी माघ मेले में आकर भक्तों से मिलते हैं और उन्हें भक्ति मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं. महामंडलेश्वर अखाड़े में बड़ा पद माना जाता है. सनातन परंपरा में संन्यासी बनना सबसे कठिन कार्य है. शिक्षा, ज्ञान और संस्कार के साथ सामाजिक स्तर को ध्यान में रखते हुए संन्यासी को महामंडलेश्वर जैसे पद पर बिठाया जाता है. अखाड़ा प्रमुख के पद हासिल करने में संतों को वर्षों लग जाते हैं. प्रयाग के माघ मेला के सेक्टर-5 में किन्नर अखाड़े का शिविर लगा हुआ है, जिसकी महामंडलेश्वर मां भवानी है.

किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर मां भवानी की कहानी काफी रोचक है. किन्नर समाज के उत्थान के लिए इन्होंने काफी संघर्ष भी किया. मां भवानी नाथ 11 साल की उम्र में यौन शोषण का शिकार हो गई. उनका परिवार बेहद गरीब था. पिता की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी जिससे पूरे परिवार का भरण-पोषण हो सके. 13 साल की उम्र में उन्हें पता चला कि वह किन्नर हैं, जिसके बाद उन्होंने घर छोड़ दिया. 2010 में उन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम अपना लिया था . इस्लाम अपनाकर वह शबनम बन गईं. साल 2012 में हज यात्रा में भी गईं .

2017 में मिली महामंडलेश्वर की उपाधि2015 में उन्होंने दोबारा हिंदू धर्म अपना लिया. मां भवानी ने 2015 में किन्नर अखाड़े की स्थापना की. जिसको लेकर कई हिंदू संगठनों का विरोध भी झेलना पड़ा इसके बावजूद वह अखाड़े की स्थापना कर खुद सनातन धर्म के प्रचार प्रसार का बीड़ा उठाती हैं.साल 2016 में अखिल भारतीय हिंदू महासभा के किन्नर अखाड़े में धर्मगुरु बनी थीं. स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने उन्हें साल 2017 में महामंडलेश्वर की उपाधि दी.

तमाम विरोधों का किया सामनाकिन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर मां भवानी बताती है कि किन्नर सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग में भी हैं. इनको हमेशा देवता के स्थान पर रखा जाता है. किन्नरों का काम होता है लोगों को दुआ देना और हम करते आ रहे हैं. हिंदू धर्म में वापसी को लेकर मां भवानी कहती है कि वह यहां आकर बहुत खुश हैं. अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा में किन्नर समाज का प्रतिनिधित्व करते हुए मां भवानी शामिल हुई थी. वह बताती हैं कि इस्लाम धर्म से वापस आने के बाद इस्लामी गद्दी होने के कारण तमाम विरोधों का सामना करना पड़ा लेकिन 2015 में जब सुप्रीम कोर्ट ने किन्नर को थर्ड जेंडर की मान्यता दी. इसके बाद से हम लोगों का हौसला और बढ़ा.

2019 में लोकसभा चुनाव के लिए मिला था टिकटमहामंडलेश्वर मां भवानी 2019 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की टिकट पर प्रयागराज से रीता बहुगुणा जोशी के सामने चुनाव भी लड़ चुकी हैं. लेकिन अब वह राजनीति में आने के प्रश्न पर कहती हैं कि अब मैने सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार का बीड़ा उठाया है और दूसरा कोई मेरा उद्देश्य नहीं है.
.Tags: Allahabad news, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : February 5, 2024, 21:49 IST



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