अभिषेक जायसवाल/वाराणसी: देश में गणतंत्र दिवस का जश्न मनाया जा रहा है.इस जश्न के बीच प्राचीन नगरी काशी में एक ऐसा पेड़ है जो गणतंत्र दिवस की दास्तान को बयां करता है. 26 जनवरी 1950 को जब देश में संविधान लागू हुआ उसी समय काशी हिंदू विश्वविद्यालय के बिरला हॉस्टल में छात्र और शिक्षकों ने एक पेड़ लगाया और उसका नाम जनतंत्र वृक्ष रखा गया. बीएचयू के बिरला हॉस्टल में लगा यह वृक्ष आज भी देश के संविधान जैसे ही मजबूती से खड़ा है.
इस जनतंत्र वृक्ष पर शिलापट्ट भी लगाया गया है जिस पर 26 जनवरी 1950 की तारीख अंकित की गई है.यह शिलापट्ट को आज भी जब लोग देखते है तो गणतंत्र दिवस की याद ताजा हो जाती है. गणतंत्र दिवस पर छात्र यहां जुटते है और शहीद और वीर जवानों को याद करते है.
क्रांतिकारियों ने लगाया था पौधाबीएचयू के प्रोफेसर बाला लखेन्द्र ने बताया कि जिस समय देश आजाद हुआ था उस वक्त कई क्रांतिकारी यहां विश्वविद्यालय में रुका करते थे. उनके छात्र के साथ प्रोफेसर और बाहर के लोग भी शामिल होते थे. ऐसे में आजादी के बाद जब संविधान लागू तो उन सभी क्रांतिकारियों ने मिलकर खुशी में इस अशोक का पेड़ लगाया और आज वृक्ष के रूप में मजबूती से खड़ा है.
1950 की याद दिलाती है वृक्षआज भी गणतंत्र दिवस के दिन छात्र यहां जुटते हैं और पेड़ के आसपास साफ सफाई कर देश के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति अर्पित करते हैं. बिरला हॉस्टल के छात्र गौरव ने बताया कि आज जब हम इस वृक्ष को देखते है तो हमारे मन मस्तिक में गणतंत्र दिवस की वो यादें ताजा हो जाती है.
.Tags: Local18, Republic dayFIRST PUBLISHED : January 26, 2024, 12:17 IST
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