Not only fatigue lack of sleep can lead to many serious diseases | Lack Of Sleep: सिर्फ थकान ही नहीं, नींद की कमी से कई गंभीर बीमारियों का भी खतरा

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Not only fatigue lack of sleep can lead to many serious diseases | Lack Of Sleep: सिर्फ थकान ही नहीं, नींद की कमी से कई गंभीर बीमारियों का भी खतरा



हमारी जिंदगी में सोने का बेहद अहम रोल होता है. सोने के दौरान ना सिर्फ हमारा तापमान कम होता है और मांसपेशियों की गतिविधि सुस्त होती है, बल्कि हमारा पूरा ध्यान भी कम हो जाता है. यही नींद हमारी वृद्धि, विकास और काम करने की क्षमता को प्रभावित करती है. ये हमें भावनात्मक संतुलन देती है और हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती है.
नींद न सिर्फ एनर्जी बचाती है, बल्कि मांसपेशियों के विकास, घावों के भरने और शरीर के विकास के लिए जरूरी हार्मोन्स को भी रिलीज करती है. नींद हमारी दिमागी शक्ति बढाती है और सीखने के लिए जरूरी ब्रेन कनेक्शन बनाने में मदद करती है. हालांकि, अच्छी नींद ना लेने से दिल की लय गड़बड़ाना, हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक, डायबिटीज, मोटापा, डिप्रेशन और सांस की समस्याओं जैसे गंभीर रोगों का खतरा बढ़ जाता है. इतना ही नहीं, इससे दुर्घटनाओं, खासकर गाड़ी चलाते समय हादसों की भी आशंका बढ़ जाती है.नींद की कमी से अन्य परेशानियांनींद की कमी इम्यून सिस्टम को कमजोर करती है और घावों के भरने में देरी करती है. कामकाज की बात करें तो अच्छी नींद लेने वाले लोग ज्यादा फोकस्ड, ज्यादा एवियर और अपनी जिंदगी में ज्यादा प्रोडक्टिव होते हैं. इसके उलट, अनिद्रा से ग्रस्त लोगों के गलतियां करने और हादसों का शिकार होने की ज्यादा संभावना होती है, जिससे कम भागीदारी, कम प्रोडक्टिविटी, कम उपस्थिति और ज्यादा मेडिकल खर्च हो सकते हैं. खोई हुई प्रोडक्टिविटी की भरपाई के लिए लोग ओवरटाइम भी करते हैं.
नींद की कमी के गंभीर मनोवैज्ञानिक प्रभावस्वास्थ्य सेवा, विमानन, ऑटोमोबाइल, शिक्षा, कानून, मैकेनिक और मैन्युफैक्चरिंग जैसे उद्योगों में, जहां हर एक डिटेल्स पर सटीक ध्यान देने की आवश्यकता होती है, वहां नींद की कमी के गंभीर मनोवैज्ञानिक प्रभाव हो सकते हैं. ये प्रभाव हल्के भ्रम और मेमोरी लॉस से लेकर गंभीर भ्रम तक हो सकते हैं. पर्याप्त नींद ना लेने वाले बच्चों और किशोरों को बात करने में कठिनाई, बिना सोचे-समझे निर्णय लेना और डिप्रेशन हो सकती है.
एक्सपर्ट की रायशरीर के ठीक से काम करने के लिए नींद की मात्रा और क्वालिटी दोनों महत्वपूर्ण हैं. एक्सपर्ट मैथ्यू कार्टर के अनुसार, तनाव, सोने से पहले खाना और रात भर रोशनी का संपर्क, छह से आठ घंटे सोने वाले लोगों में भी खराब नींद का कारण बन सकता है. नए अध्ययन इस फैक्ट को उजागर करते हैं कि नींद की मात्रा हमेशा उतनी महत्वपूर्ण नहीं होती, जितनी नींद की क्वालिटी होती है. विभिन्न कारणों से प्रभावित नींद की क्वालिटी का मूल्यांकन कुल नींद की अवधि का अनुमान लगाने से ज्यादा कठिन होता है.
भारत के लोग नहीं लेते अच्छी नींदएक फिटबिट सर्वे के मुताबिक, भारत में लोग सोने में जापान के बाद सबसे ज्यादा कंजूसी करते हैं. डॉ. योंग चियात वांग खराब नींद की आदतों के खिलाफ चेताते हैं, जैसे दिन में बहुत ज्यादा झपकी लेना और छुट्टियों में भरपूर सोने की कोशिश करना. भारत को ऑफिस के तनाव को कम करने और लोगों को नींद के बारे में जागरूक करने के उपाय करने होंगे. अच्छी नींद के लिए जरूरी है एक नियमित सोने का समय, सोने से पहले कैफीन और शराब का कम सेवन, रोजाना व्यायाम और शांत व अंधेरा कमरा.



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