हाइलाइट्सकिसान का यह भी मानना है कि आज तक सिंदूर की खेती देश में किसी ने नहीं की हैकुमकुम के वृक्ष लगाकर किसानों को धनार्जन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैफतेहपुर. यूपी के फतेहपुर जिले में एक ऐसा किसान है, जो महाराष्ट्र के पुणे शहर से आकर जनपद में अपने आप को स्थापित कर किसानों के हित के लिए लगातार नई नई तकनीकें निकालकर उन्हें जागरूक करने का काम कर रहा है. ऐसी ही एक नयी पहल इस किसान ने सिंदूर की खेती करके की. इस हाईटेक किसान का यह भी मानना है कि आज तक सिंदूर की खेती देश में किसी ने नहीं की है. जिन-जिन किसानों को कुमकुम के इस पेड़ से सिंदूर की खेती की जानकारी हो रही वो अब इनसे संपर्क कर देश के दूसरे प्रांतो में भी इस खेती को करने के लिए पौधों की मांग कर रहे हैं.
किसान अशोक तपस्वी का यह भी मानना है कि केमिकल युक्त रंग एवं सिंदूर आम जनमानस के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.वहीं सुहाग और सौभाग्य के प्रतीक के रूप में अपने माथे पर सिंदूर ग्रहण करने वाली मातृशक्ति नारी की सिरदर्द एवं चर्मरोग जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रही है. जबकि प्रकृति ने औषधिरूपी वृक्ष कुमकुम को उत्पन्न कर सौन्र्दयता प्रदान करने के प्रसाधन प्रदान किया है.
धार्मिक एवं पौराणिक ग्रंथों में सौन्दर्यता को सुख और समृद्धि का प्रतीक माना गया है. प्रकृति ने धरती को हरा-भरा बनाने के साथ-साथ रंग-बिरंगी दुनिया बनाकर दुःखमय जीवन में खुशियों का रंग बिखेरा है, लेकिन आधुनिक अर्थ युग में इंसान प्रकृति द्वारा प्रदत्त की गयी धरोहर के साथ खिलवाड़ कर रहा है. जिसकी वजह से उनके जीवन पर खतरा भी उत्पन्न हो रहा है. केमिकलयुक्त रंग एवं सिंदूर आम जनमानस के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.
प्रकृति प्रेमी एवं समाजसेवी अशोक तपस्वी उत्तर प्रदेश के फतेहपुर शहर से महज 5 किलोमीटर की दूरी में कुमकुम के वृक्ष लगाकर किसानों को धनार्जन करने के लिए प्रेरित कर रहे है. उन्होने बताया कि कुमकुम लगाने से महिलाओं का मष्तिस्क ठंडा होने के साथ-साथ उनकी सौंदर्य में निखार पैदा करता है. उनका मानना है कि कुमकुम और चंदन जैसे औषधीय वृक्षों के नाम का लेबल लगाकर मिलावटखोर नकली और बनावटी क्रीम एवं अन्य सौन्दर्य प्रसाधन तैयार कर बाजारों में बेचते है जो मानव जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. किसान पेट भरने के लिए अनाज का उत्पादन करता है और सम्पूर्ण मानव समाज का पेट भरने के बाद भी भूख, कर्ज एवं रोग से ग्रसित होकर जीवन पर्यन्त दुःख के बोझ तले दबा रहता है. किसान अनाज उत्पादन के साथ-साथ औषधीय खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकता है. उन्होंने कहा कि कुमकुम, एलोवेरा, गुरिच, तुलसी जैसी औषधीय पौध लगाकर किसान ही नही आम इंसान भी थोड़ी सी जगह में इसका लाभ उठा सकते है.
.Tags: Fatehpur News, UP latest newsFIRST PUBLISHED : December 6, 2023, 07:43 IST
Source link