एक नए अध्ययन में पाया गया है कि तापमान में बदलाव से बीमारी और मृत्यु का खतरा बढ़ता है. अध्ययन में 16 यूरोपीय देशों के 147 क्षेत्रों में रोज तापमान और मृत्यु दर के रिकॉर्ड पर आधारित किया गया. शोधकर्ताओं ने पाया कि अत्यधिक गर्मी और ठंड से मौतें ज्यादा हुई हैं. अकेले यूरोप में पिछले साल गर्मी से 70 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई. दुनियाभर में शहरी मृत्यु का करीब 9.43 फीसदी तापमान में बदलाव के कारण होता है.
अध्ययन के अनुसार, अत्यधिक गर्मी से हृदय रोग, स्ट्रोक और फेफड़ों की बीमारी जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. अत्यधिक ठंड से भी इन बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, साथ ही साथ सर्दी, निमोनिया और श्वसन संबंधी अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि तापमान में बदलाव से होने वाली मौतों को कम करने के लिए हमें जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए कदम उठाने होंगे. इसके साथ ही, हमें लोगों को गर्मी और ठंड से बचने के लिए जागरूक करना होगा.2.74 करोड़ मौतों के आंकड़ों का विश्लेषणअध्ययन में पाया गया है कि तापमान में बदलाव से भारत में हर साल 7 लाख से अधिक लोगों की मौत होती है. अध्ययन में 1998 से 2004 के बीच यूरोप के 16 देशों में सभी कारणों से हुए 2.74 करोड़ मौतों के आंकड़ों और 2000 से 2019 तक भारत में हुई मौतों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया. अध्ययन के अनुसार, यूरोप में रोजाना एकत्रित आंकड़ों में ठंड से 2.90 लाख मौतें बताई गई थी, जबकि गर्मी से 39434 लोगों की मौतें बताई गई थी. साप्ताहिक आंकड़ों में यह संख्या 21 तक कम आंकी गई थी.
भारत में सालाना 7 लाख अधिक लोगों की मौतभारत में असामान्य तापमान के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा इससे भी अधिक है. अध्ययन के अनुसार, असामान्य ठंड के कारण हर साल 6.55 लाख तथा गर्मी के कारण 83 हजार से अधिक मौतें हुई. साप्ताहिक, दो सप्ताह पर और महीने भर में रोजाना के आंकड़ों की तुलना में तापमान-संबंधी मृत्यु दर को कम करके आंका गया. शोधकर्ताओं का कहना है कि तापमान में बदलाव से होने वाली मौतों का सही आंकड़ा प्राप्त करने के लिए हमें साप्ताहिक और मासिक आंकड़ों को भी ध्यान में रखना चाहिए.
अत्यधिक गर्मी से दिल की बीमारी का खतरा भी बढ़ायूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक गर्मी या ठंड के कारण दिल के मरीजों का खतरा बढ़ा है. तापमान में बदलाव के कारण 2019 में दुनियाभर में 11.94 लाख लोगों की मौतें हुई.