उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने हलाल सर्टिफिकेट से जुड़े फूड उत्पाद पर प्रतिबंध लगा दिया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मामले का संज्ञान लेने के बाद शनिवार को प्रतिबंध के बारे में आदेश भी जारी कर दिया गया था. वहीं उत्पादों के हलाल प्रमाणीकरण से संबंधित जमीयत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट सहित कुछ संगठनों के खिलाफ उत्तर प्रदेश में एक एफआईआर के बाद जमीयत ने कहा है कि उनके खिलाफ आरोप ‘निराधार’ हैं और ‘उनकी छवि खराब करने’ का प्रयास है. उन्होंने कहा कि वह ऐसी गलत सूचनाओं का मुकाबला करने के लिए कानूनी उपाय करेंगे.
ट्रस्ट के सीईओ नियाज ए फारूकी ने कहा कि हम सरकारी नियमों का पालन करते हैं, जैसा कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की अधिसूचना में जोर दिया गया है, सभी हलाल प्रमाणन निकायों को एनएबीसीबी (भारतीय गुणवत्ता परिषद के तहत प्रमाणन निकायों के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड) द्वारा पंजीकृत होना आवश्यक है. ट्रस्ट नई दिल्ली के JUH मुख्यालय के परिसर में स्थित है. ट्रस्ट के सीईओ ने बताया कि हलाल प्रमाणित उत्पादों की वैश्विक मांग मजबूत है और भारतीय कंपनियों के लिए ऐसा प्रमाणीकरण प्राप्त करना अनिवार्य है. यह तथ्य वाणिज्य मंत्रालय द्वारा समर्थित है. हलाल प्रमाणन लोगो न केवल हलाल उपभोक्ताओं की सहायता करता है बल्कि सभी उपभोक्ताओं को सूचित विकल्प भी प्रदान करता है. ट्रस्ट ने आरोप लगाया है कि हलाल प्रमाणन के खिलाफ झूठे दावों का प्रचार करने वाले कुछ व्यक्ति सीधे तौर पर हमारे राष्ट्रीय हितों को कमजोर करते हैं. इसमें कहा गया है, हलाल व्यापार 3.5 ट्रिलियन डॉलर का उद्योग है और भारत को निर्यात और पर्यटन में इसके प्रचार से लाभ होता है, विशेष रूप से ओआईसी में महत्वपूर्ण भागीदारों के साथ है.
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क्या था योगी सारकार का आदेश?आपको बता दें कि यूपी सरकार के आदेश के अनुसार, हलाल प्रमाणन युक्त खाद्य उत्पादों के निर्माण, भंडारण, वितरण एवं विक्रय पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया जाता है. हलाल प्रमाणीकरणयुक्त औषधि, चिकित्सा युक्ति व प्रसाधन सामग्रियों का विनिर्माण, भंडारण वितरण एवं क्रय-विक्रय उत्तर प्रदेश राज्य में करते हुए पाये जाने पर संबंधित व्यक्ति/फर्म के विरुद्ध कठोर विधिक कार्यवाही की जाएगी.
हालांकि, निर्यात हेतु विनिर्मित उत्पाद प्रतिबंध की सीमा में नहीं आएंगे. हाल के दिनों में प्रदेश सरकार को ऐसी जानकारी मिल रही थी कि डेरी उत्पाद, चीनी, बेकरी उत्पाद, पिपरमिन्ट ऑयल, नमकीन रेडी-टू-ईट वेवरीज व खाद्य तेल जैसे उत्पादों के लेबल पर हलाल प्रमाणन का उल्लेख किया जा रहा है. यही नहीं, कतिपय दवाइयों, चिकित्सा युक्तियों व प्रसाधन सामग्रियों के उत्पाद के पैकिंग/लेबलिंग पर हलाल प्रमाण पत्र का भी अंकन किए जाने की सूचना मिली है.
औषधियों, चिकित्सा युक्तियों व प्रसाधन सामग्रियों से संबंधित सरकार के नियमों में हलाल प्रमाणीकरण का अंकन उत्पादों के लेबल पर किये जाने का कोई प्रावधान नहीं है और न ही औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 व तत्संबंधी नियमों में हलाल प्रमाणीकरण किये जाने का कोई प्रावधान है. ऐसी स्थिति में यदि किसी औषधि, चिकित्सा युक्ति व प्रसाधन सामग्री के लेबल पर हलाल प्रमाणीकरण से संबंधित किसी भी तथ्य का प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से अंकन किया जाता है, तो यह उक्त अधिनियम के अंतर्गत मिथ्याछाप है, जो कि एक दंडनीय अपराध है. इसी प्रकार, खाद्य पदार्थों के संबंध में लागू अधिनियम और नियमावली के अनुसार खाद्य पदार्थों के लिए शीर्षस्थ संस्था भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण को खाद्य पदार्थों के मानकों का निर्धारण करने का अधिकार दिया गया है, जिसके आधार पर खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाती है. जबकि, हलाल प्रमाणन एक समानांतर व्यवस्था है, जो खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता के विषय में भ्रम की स्थिति उत्पन्न करता है एवं सरकार के नियमों का उल्लंघन करता है.
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क्यों हुई थी एफआईआर?बीते शुक्रवार को लखनऊ कमिश्नरेट में इस बाबत एक एफआईआर भी दर्ज की गई है. एफआईआर के मुताबिक, हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई, जमीयत उलेमा हिंद हलाल ट्रस्ट दिल्ली, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुंबई, जमीयत उलेमा महाराष्ट्र मुंबई आदि द्वारा एक धर्म विशेष के ग्राहकों को मजहब के नाम से कुछ उत्पादों पर हलाल प्रमाणपत्र प्रदान कर उनकी ब्रिकी बढ़ाने के लिए आर्थिक लाभ लेकर अवैध कारोबार चलाया जा रहा है. शिकायतकर्ता ने इसे बड़ी साजिश की आशंका जताते हुए कहा है कि जिन कंपनियों ने ऐसा हलाल प्रमाण पत्र इनसे नहीं प्राप्त किया है, उनके उत्पादन की बिक्री को घटाने का प्रयास भी किया जा रहा है, जो कि आपराधिक कृत्य है. आशंका है कि इस अनुचित लाभ को समाज विरोधी/राष्ट्र विरोधी तत्वों को पहुंचाया जा रहा है. शिकायतकर्ता का आरोप है कि मजहब की आड़ लेकर एक वर्ग विशेष में अनर्गल प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है कि ऐसे उत्पाद का प्रयोग न करें, जिसे इनकी कंपनी द्वारा हलाल प्रमाणपत्र न दिया गया हो. परिणामस्वरुप दूसरे समुदाय विशेष के व्यावसायिक हितों का नुकसान हो रहा है.
.Tags: CM Yogi Adityanath, Halal meat controversyFIRST PUBLISHED : November 20, 2023, 13:22 IST
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