रजनीश यादव/ प्रयागराज: अगर आप राजस्थान गुजरात नहीं जा सकते हैं और उत्तर प्रदेश में ही रेगिस्तान के जहाज का मजा लेना है तो प्रयागराज के संगम किनारे आपकी यह ख्वाहिश पूरी हो सकती है. देश के राजस्थान में जैसलमेर गंगानगर उदयपुर जिलों में ऊंट की सवारी करवाई जाती है जबकि गुजरात के कच्छ में ऊंट की सवारी खूब कराई जाती है. इसके लिए भारी भरकम रकम भी चुकानी पड़ती है लेकिन प्रयागराज में सस्ते दाम पर ही आप ऊंट और घोड़े की सवारी कर सकते हैं.
संगम किनारे लगभग 25 की संख्या में राजस्थानी ऊंट देखने को मिल जाएंगे, जो सज-धज के सवारी बैठाने की इंतजार में रहते हैं. राजस्थान के लोग ही अपने ऊंट लेकर संगम किनारे आए हैं जहां पर ऊंट की सवारी उनकी जीविका का मुख्य साधन है. इन ऊंट के सवारी के व्यवसाय को देखते हुए स्थानीय लोग जिनके पास खुद के घोड़े थे वह भी इनको संगम किनारे बालू में सवारी के लिए लगा दिए. जिससे आज इन घोड़े वालों की भी कमाई हो रही है. ऊंट के पीठ पर एक गद्दी दार चेयर फिट कर देते हैं ,जिससे बैठने वाले व्यक्ति को कोई समस्या ना हो और वह सुरक्षित भी रहे. ऊंट का मालिक रस्सी के सहारे ऊंट को घूमाता है. गंगा जमुना के किनारे किनारे वह टूरिस्ट को सैर कराता है.
कितना है रेट
ऊंट और घोड़े की सवारी करने के इन लोगों ने ₹50 तय किए हैं. जिसमें वह एक चक्कर यानी की 1 किलोमीटर की दूरी घूमते हैं. संगम पर 1 किलोमीटर की दूरी में ऊंट पर बैठा टूरिस्ट इस पर से उसे पर तक का दृश्य देखा है और इस पल का खूब आनंद उठाता है. एक बार में एक ऊंट पर दो लोग एक साथ बैठ सकते हैं ऐसे में कपल इस पर बैठना और साथ में सेल्फी लेना खूब पसंद करते हैं. बच्चे भी ऊंट की सवारी खूब करते हैं.
कितनी होती है कमाई
ऊंट चलने वाले संदीप बताते हैं कि दिनभर यहां ऊंट घूमने पर लगभग 700 से 800 रुपए की कमाई हो जाती है. जिसमें कुछ हिस्सा उठ के ऊपर भी खर्च करना पड़ता है बाकी बचत ही होती है. इससे वह प्रत्येक माह अपने घर राजस्थान ₹15000 तक भेजते हैं. बताते हैं जब बाढ़ का सीजन आता है तो इनका यह व्यवसाय बंद हो जाता है और इस समय दो महीने के लिए अपने घर भी चले जाते हैं.
.Tags: Hindi news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : November 19, 2023, 08:57 IST
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