सिमरन जीत सिंह/शाहजहांपुर: शाहजहांपुर जिले का युवा किसान अपने खेतों में अब पिंक ताइवान अमरूद की बागवानी कर रहा है. किसान का कहना है कि इससे पहले वह अपने खेतों में धान, गेहूं और गन्ने की खेती करता था. आवारा पशुओं की वजह से काफी नुकसान होता था. बाजार में इन फसलों का भाव भी कम मिलता था. जिसकी वजह से खेती घाटे का सौदा साबित हो रही थी. वहीं अब उसने अपने खेत में पिंक ताइवान अमरूद के पौधे लगाए हैं. जिससे उन्हें अच्छी कमाई हो रही है.
शाहजहांपुर जिले के पैना बुजुर्ग गांव का रहने वाला युवा किसान शिवम सिंह ने 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपनी पुश्तैनी जमीन में खेती करने का फैसला लिया. शिवम सिंह का कहना है कि उसके पिता और दादा पहले धान, गेहूं और गन्ने की फसल किया करते थे. जिसमें उनको मन मुताबिक मुनाफा नहीं हो पा रहा था. ऐसे में शिवम ने सोचा कि क्यों ना अब इसमें पिंक ताइवान अमरूद का बाग लगाया जाए. इसके बाद उन्होंने अपने 5 एकड़ खेत में अमरूद का बाग लगा दिया. शिवम का कहना है कि उन्होंने पूरे खेत में पिंक ताइवान अमरूद के 2300 पौधे लगाए हैं.
अमरुद को कीट से बचाने के लिए करते हैं बैगिंग
शिवम ने बताया कि उन्होंने मलिहाबाद से लाकर पिंक ताइवान अमरूद के पौधे लगाए थे. जिनमें अब फसल आ गई है. शिवम ने बताया कि अपनी अमरूद के फल कीटों से बचाने के लिए वह फल के ऊपर बैगिंग कर देते हैं. जिससे अमरूद के फल में कीट नहीं लगते और कीटनाशक का इस्तेमाल भी नहीं करना पड़ता. ऐसे में अमरूद के फल की क्वालिटी बेहतर बनी रहती है. क्वालिटी बेहतर होने से उनको अच्छा भाव भी मिलता है.
बाजार में मिल रहा अच्छा भाव
शिवम ने लोकल 18 को बताया कि उनके अमरूद के बाग में फसल तैयार हो गई है. वह अमरूद की फसल को तोड़कर शाहजहांपुर की रोजा मंडी ले जा रहे हैं. जहां उनका 50 से 60 रुपए प्रति किलो के हिसाब से भाव मिल रहा है और उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है. अभी उन्होंने अपने अमरूद के बाग से करीब 20% फसल की ही हार्वेस्टिंग की है.
सहफसली बन रही सहायक
शिवम का कहना है कि वह अमरूद के बाग के बीच में सहफसली भी करते हैं. उन्होंने अमरूद के पौधों के बीच बची हुई जगह में चना, मसूर और मूंगफली की खेती भी की है. जिससे अमरूद के बाग में लगने वाली लागत का एक बड़ा हिस्सा सहफसली से उनको मिल जाता है.
.Tags: Hindi news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : November 14, 2023, 12:35 IST
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