रंगेश सिंह
सोनभद्र. ओबरा बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति ने सोमवार को मिलकर एक फैसला किया है. यदि केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में बिजली संशोधन बिल 2021 को पेश करने की कोशिश करेगी तो देश भर में 15 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर काम छोड़कर विरोध प्रदर्शन करेंगे.
साथ ही यह भी आह्वान किया है कि बिजली कर्मचारी संसद में बिल को पेश करने और पारित कराने की केंद्र सरकार की एकतरफा कोशिश के खिलाफ उसी क्षण लाइटनिग कार्रवाई के लिए सतर्क और तैयार रहें.
केंद्र की होगी जिम्मेदारीआल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन अब तक की सर्वाधिक भागीदारी वाला प्रदर्शन होगा. इसके परिणामों की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी. संगठन के सभी घटक अपने सदस्यों की यथासंभव अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करेंगे. दिन भर चलने वाले प्रदर्शन में व्यापक भागीदारी के परिणाम की जिम्मेदारी भारत सरकार को ही वहन करनी होगी.
उन्होंने कहा कि बिजलीकर्मी लगातार आंदोलनरत हैं. ऐसे में अगर बिजलीकर्मी हड़ताल पर जाते है तो प्रदेशभर में बिजली का संकट खड़ा हो जाएगा. आम जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. वही बिजली विभाग से जुड़े संयुक्त संघर्ष समिति के सचिव अदालत वर्मा ने कहा कि सरकार को इस तरह की गलती नही करनी चाहिए. बिजली विभाग का हम निजीकरण नही होने देंगे. सरकार हर जगह निजीकरण करने में लगी है. सरकारी क्षेत्र में ही सैकड़ों विभागों में हमारा लाखो करोड़ बाकी है पर उसकी भरपाई सरकारी विभागों से नही हो रही है. अपनी गलती कर्मचारियों पर ना थोपें सरकार. ये चेतावनी है कि बिजली संसोधन बिल संसद में पेश ना करें अन्यथा पड़े परिणाम भोगने पड़ सकते है.
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