परमजीत कुमार/देवघर. छठ पूजा को पर्व नहीं बल्कि महापर्व कहा जाता है. यह पूरी तरह से प्रकृति को समर्पित होता है. लोग बहुत ही आस्था के साथ इस पर्व को मनाते हैं. दिवाली के बाद लोग इसकी तैयारी में जुट जाते हैं. इस पर्व में व्रती 36 घंटे निर्जला उपवास करती हैं. जबकि किसी अन्य पर्व में इतना लंबा उपवास नहीं रखा जाता है. वहीं, चार दिवसीय नहाय खाय के साथ छठ पूजा का प्रारम्भ होता है. छठ पूजा मे षष्ठी माता और सूर्य देव की पूजा अराधना की जाती है. इस पर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. आइए देवघर के ज्योतिषी से जानते हैं कि छठ पर्व की शुरुआत कब से हो रही है.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नन्द किशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि छठ पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. 17 नवंबर से अमृतयोग और रवियोग के साथ छठ पूजा प्रारम्भ हो रही है. वहीं, छठ पूजा में नदी किनारे भगवान सूर्य की उपासना की जाती है. छठ पूजा संतान प्राप्ति या संतान के सुखमय जीवन के लिए किया जाता है. साथ ही बताया कि इस साल छठ पूजा में विशेष संयोग बन रहा है. रविवार का दिन भगवान सूर्य का दिन माना जाता है और पहला अर्ध्य रविवार को ही पड़ रहा है जो बेहद शुभ है.
नहाय खाय के साथ छठ पूजा प्रारम्भपंडित नन्द किशोर मुद्गल के मुताबिक, चार दिनों तक चलने वाला छठ पूजा पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है. यह इस साल 17 नवंबर को पड़ रहा है. इस दिन से घर में शुद्धता का ध्यान रखा जाता है. लहसुन प्याज की मनाही होती है. नहाय खाय में व्रती सहित परिवार के सभी सदस्य चावल के साथ कद्दू की सब्जी, चने की दाल, मूली आदि ग्रहण करते हैं. वहीं, 18 नवंबर को खरना है. इस दिन गुड़ और खीर का प्रसाद बना कर ग्रहण करते हैं. व्रती इस प्रसाद को ग्रहण कर 36 घंटे निर्जला उपवास पर चली जाती हैं. इस प्रसाद को बनाने में मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है.साथ ही बताया कि 19 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है, जिसे संध्या अर्घ भी कहते हैं. चौथे दिन यानी 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है. इस दौरान व्रती सूर्य देव से अपनी संतान और परिवार के सुख शांति के लिए कामना करती हैं. सुबह वाले अर्ध्य के बाद पारण होता है. इसके साथ ही यह पर्व समाप्त हो जाता है.
छठ पूजा का मुख्य प्रसादपंडित नन्द किशोर मुद्गल ने बताया कि छठ पूजा का मुख्य प्रसाद केला और नारियल होता है. इस पर्व का महाप्रसाद ठेकुवा को कहा जाता है. यह ठेकुवा आटा, गुड़ और शुद्ध घी से बनाया जाता है, जो कि काफी प्रसिद्ध है.
छठ पूजा का महत्वहिन्दू मान्यता के अनुसार, छठ पूजा को बहुत ही कठिन पर्व माना जाता है. इस पर्व में व्रती तीन दिनों तक निर्जला उपवास रखती हैं. छठ पूजा में माता छठ और भगवान सूर्य की उपासना की जाती है. माना जाता है कि जो भी जातक पूरे विधि विधान के साथ छठ पूजा करते हैं उसकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है. ( नोट: यह खबर ज्योतिषी और मान्यताओं पर आधारित है. न्यूज़ 18 इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
.Tags: Bihar Chhath Puja, Chhath Mahaparv, Chhath PujaFIRST PUBLISHED : November 13, 2023, 08:44 IST
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