विशाल भटनागर/मेरठ. करवा चौथ के त्योहार का सनातन धर्म में बहुत महत्व है. करवा चौथ व्रत हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है. इस बार करवा चौथ 1 नवंबर को है. करवा चौथ के दौरान, विवाहित महिलाएं अपने पतियों की सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. करवा चौथ के पवित्र व्रत रखने वाली महिलाओं को अबकी बार चंद्र दर्शन करने के लिए ज्यादा इंतजार करना नहीं पड़ेगा.
राजराजेश्वरी मंदिर के मुख्य पुजारी राधिकानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार जो महिलाएं 1 नवंबर को व्रत रखेंगी. वह सभी महिलाएं शाम 5:36 से शाम 6:24 मिनट तक पूजन प्रक्रियाओं को पूरी कर सकती है. क्योंकि यह मूहर्त काफी शुभ है. इसके बाद 8:15 पर चंद्रमा के दर्शन कर सकती है. वह विधि-विधान के साथ अपना व्रत को खोल सकती हैं.
इन बातों का रखें विशेष ध्यानमुख्य पुजारी ब्रह्मचारी राधिकानंद के अनुसार करवा चौथ का पर्व काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इसमें पति के जीवन में आने वाले प्रत्येक संकट को भगवान श्री गणेश दूर करते हैं. उन्होंने कहा कि जो भी महिलाएं इस व्रत को रखें. वह सभी साड़ी और श्रृंगार का विशेष ध्यान रखें. क्योंकि नारी शक्ति को भगवती का रूप माना जाता है. ऐसे में श्रृंगार और साड़ी का भारतीय सनातन परंपरा में काफी महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है. इन बातों का विशेष ध्यान रखते हुए ही पूजा अर्चना करना चाहिए.
सुहागिन महिलाएं शादी के जोड़े में करें व्रतकरवा चौथ वाले दिन महिलाओं को विशेष तौर पर लाल परिधान पहनना चाहिए. क्योंकि लाल रंग सनातन धर्म में शुभ का प्रतीक माना जाता है. हालांकि इसके अतिरिक्त भी अगर महिलाएं पहनना चाहें तो केसरिया, पीला, हरा, गुलाबी, मरून रंग भी पहन सकती हैं. वहीं सुहागिन महिलाएं शादी के जोड़े में ही इस पावन व्रत की पूजा अर्चना करें.
.Tags: Local18, Meerut news, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : October 29, 2023, 17:05 IST
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