पीयूष शर्मा/मुरादाबाद. जिस भारतीय समाज में बेटियों को बेटों के मुकाबले पढ़ाने में कम तवज्जो दी जाती रही है, वहीं अब बेटियां पढ़ाई में बेटों के आगे निकल गई है. बेटियों को अपनी जिम्मेदारी का अहसास हो चला है. छात्र काल में अंग्रेजी की पढ़ाई से उन्हें युवावस्था में जिंदगी में आने वाले चैलेंज से डटकर मुकाबला करने की हिम्मत मिलेगी. आज बेटों की अपेक्षा बेटियां अंग्रेजी भाषा का चुनाव ज्यादा कर रहीं हैं. क्योंकि उन्हें ये मालूम है कि आने वाले समय में अंग्रेजी की क्या महत्ता होने वाली है.
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ मुहिम हो या बेटियों के लिए चलाई गई योजना. हर जगह उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इसका परिणाम हो या बेटियों की जागरूकता. आज शहर के अधिकांश कॉलेजों में उन्होंने बेहतर करके दिखाया है. साथ ही ग्लोबल लैंग्वेज की ओर अग्रसर होकर अंग्रेजी भाषा का चुनाव किया है. बेटों की अपेक्षा बेटियों ने इस भाषा को स्वीकारा है. हिंदू कॉलेज में अंग्रेजी में लिए गए दाखिलों की बात करें तो यहां पर 222 लड़के तो वहीं 412 लड़कियों ने एडमिशन लिया है. इसी तरह केजीके कॉलेज में 144 लड़कों के सापेक्ष 179 लड़कियों ने बीए अंग्रेजी में दाखिला लिया. वहीं गोकुलदास में 156 लड़कियों ने इस साल दाखिला लिया.
बेटों के मुकाबले बेटियों ने बनाई बढ़त
हिन्दू कॉलेज के प्रोफेसर व अंग्रेजी विभाग के प्रभारी डॉ पूजन प्रसाद ने बताया कि लड़कियों मे शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है. ये उसी का परिणाम है अंग्रेजी ग्लोबल लैंग्वेज है और लड़कियां विशेष रूप से इसे चुन रही हैं. ये अच्छी बात है समाज को बेहतर बनाने में लड़कियों का विशेष योगदान होता है.
.Tags: Hindi news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : October 29, 2023, 09:35 IST
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