संजय यादव/बाराबंकीः जिंले में वैसे तो कई पौराणिक स्थल है. जिनमे से एक ज्वालामुखी देवी मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है. यहां नवरात्रि पर दूर-दराज और स्थानीय जनपद से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. ज्वालामुखी देवी मंदिर की मान्यता है कि यहां मांगी गई मुराद पूरी होती है. इसीलिए यहां विशेषतौर पर नवरात्रि में काफी भीड़ जुटती है. दूर-दराज से श्रद्धालुओं का यह आना-जाना लगा रहता है.नवरात्रि के दिनों में यहां परिवार के लोग आकर मुंडन संस्कार भी करवाते हैं. जिसकी वजह से इस मंदिर परिसर व आसपास भीड़ जुटती है.बाराबंकी जिले के मसौली ब्लाक क्षेत्र के उधौली के पास स्थित ज्वालामुखी मंदिर है. नवरात्रि के अलावा प्रत्योक शुक्रवार के साथ हर महीने की पूर्णिमा को भी भक्त यहां दूर-दूर से आते हैं और विधिवत हवन पूजन के साथ में माता के मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं. भक्त यहां अपनी मान्यता के अनुसार माता को चुनरी इत्यादि भेंट करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि सैकड़ों साल पहले कई देवियां यहां स्थित एक कुएं से निकली थी. जो अलग अलग स्थापित है. वहीं लोगों की मान्यता है कि मंदिर के पानी से लोगों की आंखे भी ठीक हो जाती हैं.चमत्कारी है ज्वालामुखी मंदिर का पानीमंदिर के पुजारी के अनुसार ये मंदिर करीब पांच सौ वर्ष पुराना है. यहां पर चारों तरफ बहुत ही घना जंगल था. जिसमें एक कुआं भी है. इसी कुएं से ज्वालामुखी माता के साथ कई देवियां निकली थी. जो यहां अलग-अलग स्थापित हैं. आज भी इस कुएं का पानी आंखों में डालने से किसी भी प्रकार की बीमारी ठीक हो जाती है और यहां जो भक्त सच्चे मन से यहां माता की विधिवत पूजा अर्चना करता है अपनी मनोकामना मांगता है.माता उसकी मनोकामना जरूर पूर्ण करती हैं.चुनरी और धागे की गांठ बांध मांगी जाती है मन्नतभक्त यहां अपनी मन्नत मांगने के लिये चुनरी और धागे से गांठ भी लगाते हैं. वहीं श्रृद्धालुओं के मुताबिक जिन भक्तों की मनोकामना पूरी होती है वह यहां घंटा, प्रसाद आदि चढ़ाकर पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं. भक्त यहां अपने बच्चों का मुंडन संस्कार भी करते हैं.FIRST PUBLISHED : October 14, 2023, 20:23 IST
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