अभिषेक जायसवाल/वाराणसी. भोले की नगरी काशी (Kashi) निराली है. इस अनोखे शहर में जैसा होता है वैसा दूसरी जगहों पर शायद ही देखने को मिले. दुनिया के इस प्राचीन शहर में एक ऐसे अनोखे शख्स है जो हर साल हजारों बेटियों के पिता बन उन्हें मोक्ष दिलाते है. इसके लिए पितृपक्ष (Pitrapaksha 2023) में वो गर्भ में मारी गई बेटियों के मानस पिता बन उनका पिंडदान करते है. पिछले 10 सालों से वो इस काम को करते आ रहें है.
वाराणसी (Varanasi) के संतोष ओझा ने 10 सालों में कुल 82000 बेटियों का पिंडदान किया है. रविवार को वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर अपने इस अनूठे आयोजन में उन्होंने इस साल 15 हजार बेटियों के मोक्ष की कामना से पूरे वैदिक विधि विधान से पिंडदान और तर्पण किया. 11 ब्राह्मणों द्वारा रानी गुरु और दिनेश शंकर दुबे के आचार्यत्व में इसे किया गया.
22 सालों से जगा रहे बेटी बचाओ की अलख
बताते चलें कि समाजसेवी संतोष ओझा बीते 22 सालों से देशभर में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की मुहिम चला रहे है. इसके लिए उन्होंने आगमन समाजिक संस्था बनाई है और इसी के जरिए वो लोगों को जोड़कर इस मुहिम को चला रहे है.
भ्रूण हत्या के खिलाफ कर रहे काम
संतोष ओझा ने बताया कि बेटों के चाह में आज भी जो लोग भ्रूण हत्या कराते है. उन्ही नन्ही बेटियों को मोक्ष मिले इसके लिए वो इस अनुष्ठान को करते हैं. शुरुआत में जब उन्होंने इसकी शुरुआत की थी तो उन्हें घर से ही विरोध का सामना करना पड़ा था लेकिन उन्होंने तमाम विरोध के बाद भी उन बेटियों के मोक्ष की कामना से यह श्राद्ध किया.
11 ब्राह्मणों ने कराया अनुष्ठान
पंडित दिनेश शंकर दुबे ने बताया कि पितृपक्ष में अकाल मृत्यु के शिकार हुए लोगों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध का विधान है. इसी के तहत 11 ब्राह्मणों ने इस अनुष्ठान को कराया है.
.Tags: Ajab Gajab, Hindi news, Local18, Religion 18, UP newsFIRST PUBLISHED : October 8, 2023, 15:57 IST
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