परमजीत कुमार/देवघर. कहते हैं छठ महापर्व केवल एक पर्व नहीं बल्कि इससे लोगों की भावना जुड़ी हैं. झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में लोग इसे बड़ी आस्था व श्रद्धा के साथ मनाते हैं. हालांकि अब यह न सिर्फ पूरे देश बल्कि विदेश तक पहुंच चुका है. जबकि रोजगार के सिलसिले में दूरे राज्यों या फिर विदेश में रहने वाले लोग भी छठ पर्व में अपने घर जरूर लौटते हैं.
छठ पर्व की महानता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इसमें ऊगते सूर्य के साथ डूबते सूर्य को भी अर्ध्य देने की परंपरा है. यह पर्व चार दिनों तक चलता है, जिसमें व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती है. पंचांग के अनुसार, छठ पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है. इस दिन पहला अर्ध्य पड़ता है. आइए देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि इस साल छठ पर्व कब शुरू हो रहा है और इसका मुख्य प्रसाद क्या है?
क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्यदेवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि छठ महापर्व चार दिनों तक चलने वाला अनोखा अनुष्ठान है. यह पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इस साल मलमास के कारण सभी त्यौहार की तिथि में बढ़ोतरी हुई है. छठ महापर्व की शुरुआत 17 नवंबर को नहाए खाए के साथ हो जाएगी. इसके बाद 18 नवंबर खरना होगा. इस दिन दूध चावल से तैयार विशेष प्रसाद से भोग लगाया जाता है. 19 नवंबर को संध्या काल में पहला अर्ध्य और 20 नवंबर को सुबह ऊगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा. इसका पारण किया जाएगा.
छठ महापर्व का मुख्य प्रसादपंडित नंदकिशोर मुद्गल के मुताबिक, चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व का प्रसाद केला और नारियल होता है, लेकिन इस पर्व का महाप्रसाद ठेकुआ होता है. यह पूरे देश में प्रसिद्ध है. यह ठेकुआ गेहूं के आटे, गुड़ और शुद्ध घी से बनाया जाता है. इस प्रसाद के बिना छठ महापर्व की पूजा अधूरी मानी जाती है. इसके साथ ही खरना के दिन शुद्ध अरवा चावल की खीर बनाई जाती हैं. यह खीर दूध, गुड़ और अरवा चावल से बनाई जाती है. इस प्रसाद को ही ग्रहण कर व्रती 36 घंटे निर्जला उपवास पर चली जाती हैं.
क्या है छठ महापर्व का महत्वदेवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य ने बताया कि छठ पूजा संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है. माताएं अपनी संतान की सुरक्षा और उसके सुखी जीवन के लिए छठ पूजा करती हैं. छठ पूजा का व्रत सबसे कठिन होता है. पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है. दूसरे दिन शाम में खरना का प्रसाद ग्रहण कर व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास करती हैं. इस दौरान तीसरे दिन शाम में डूबते सूर्य और चौथे दिन ऊगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है. इसके बाद पारण के साथ पर्व संपन्न होता है.
.Tags: Bihar Chhath Puja, Chhath Puja, Religion 18FIRST PUBLISHED : October 3, 2023, 10:19 IST
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