सौरव पाल/मथुरा. ब्रज में राधा-कृष्ण ने अपनी कई लीलाएं की हैं, जिस वजह यह स्थान करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है. इसके अलावा ब्रज कला और संस्कृति का भी एक बड़ा केंद्र है, जहां कई अनोखी विधाएं देखने को मिलती हैं. ऐसी ही एक कला है ब्रज की सांझी कला, जो ब्रज के मंदिरों में पितृपक्ष के समय मनाई जाती है.
ब्रज संस्कृति शोध संस्थान के सचिव और इतिहासकार लक्ष्मीनारायण तिवारी ने बताया कि सांझी ब्रज कि एक ऐतिहासिक धरोहर है, जिसको जीवित रखने और लोगों के बीच इस कला को पहुंचने के लिए सात वर्षों से वृंदावन के ब्रह्मकुंड पर सांझी महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इसमें ब्रज के सांझी कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे.
इस दौरान रंगों और फूलों से पानी के ऊपर व नीचे राधा कृष्ण की लीलाओं की सांझी बनाएंगे. साथ ही वृंदावन के स्कूली छात्र-छात्राएं भी रंगों द्वारा अपनी सांझी कला का प्रदर्शन करेंगे. यह महोत्सव 30 सितंबर से 2 अक्टूबर तक शाम 6 बजे से आयोजित किया जाएगा.
राधा ने कृष्ण को रिझाने के लिए बनाई थी सांझीसांझी कला की मान्यता है कि वैसे तो भगवान श्रीकृष्ण ने राधा जी के लिए कई लीलाएं की थीं, लेकिन यह इकलौती ऐसी लीला है जो श्रीराधा जी कृष्ण को रिझाने के लिए अपनी सखियों के साथ फूलों से बनाती थी. तभी से यह परंपरा चली आ रही है. इसके अलावा स्वामी हरिदास और सूरदास ने भी अपनी कई काव्य रचनाओं में सांझी का जिक्र किया है. सांझी बनाने के लिए सबसे पहले अष्टकोण की मिट्टी की बेदी बनाई जाती है, जिसके ऊपर रंगों से राधा कृष्ण की लीलाओं और ब्रज लीलाओं को बनाया जाता है और एक सांझी को बनाने में सात घंटे से भी अधिक का समय लगता है.
पीएम मोदी ने जो बाइडन को दी थी सांझी की तस्वीरसांझी कला ब्रज के साथ-साथ भारत की भी एक महत्वपूर्ण धरोहर है, जिसका महत्व अंतरराष्ट्रीय स्तर तक है. 2022 में अपने टोक्यो दौरे पर पीएम नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को सांझी कला की एक पेंटिंग भी गिफ्ट की थी.
.Tags: Local18, Mathura news, VrindavanFIRST PUBLISHED : September 28, 2023, 23:43 IST
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