विश्वभर में हर साल 28 सितंबर को वर्ल्ड रेबीज डे मनाया जाता है. हर खास दिन की तरह इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य भी रेबीज बीमारी के प्रति जागरुकता फैलाना है. इस दिन को चुनने के पीछे वजह यह है कि इस दिन विख्यात फ्रेंच केमिस्ट और माइक्रोबायोलॉजिस्ट Louis Pasteur की डेथ एनिवर्सिरी होती है. लुईस पाश्चर और उनकी टीम ने ही 1885 में पहली बार रेबीज के खिलाफ वैक्सीन विकसित की थी.
आपको बता दें कि रेबीज बीमारी लायसावायरस से संक्रमित जानवरों के काटने के कारण इंसानों में पहुंचती है. जिसका मतलब है कि यह एक जूनोटिक बीमारी है. कुत्ते, बंदर और बिल्ली जैसे जानवर इसके मुख्य वाहक हैं.
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वर्ल्ड रेबीज डे की हिस्ट्री क्या है? (World Rabies Day History)
वर्ल्ड रेबीज डे के जरिए वैश्विक स्वास्थ्य संस्थाएं इस बीमारी का हमारी जिंदगी पर प्रभाव और बचाव के तरीकों के बारे में जागरुकता फैलाती हैं. पहली बार यह दिवस 28 सितंबर 2007 को मनाया गया था. जिसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन, सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन व अमेरिका और एलायंस फोर रेबीज कंट्रोल ने एक साझा कार्यक्रम आयोजित किया था. अब इस दिवस का कॉर्डिनेशन ग्लोबल एलायंस फोर रेबीज कंट्रोल करता है.
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वर्ल्ड रेबीज डे 2021 की थीम (World Rabies Day 2021 Theme)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, विश्व रेबीज दिवस 2021 की थीम ‘रेबीज: तथ्य, डर नहीं’ (Rabies: Facts, not fear) रखी गई है. जिसका मकसद दुनियाभर को यह संदेश पहुंचाना है कि रेबीज की बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है. बल्कि हमें तथ्यों के बारे में जागरुक होने की ज्यादा जरूरत है. सही कदम व बचाव के तरीके अपनाकर इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है.
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.