सुपरटेक के ट्वीन टावर गिराने में बचे हैं सिर्फ 8 दिन, नोएडा अथॉरिटी ने उठाया ये कदम

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नोएडा. सुपरटेक के ट्वीन टावर (Supertech Twin Tower) को गिराने के लिए अब सिर्फ 8 दिन का ही वक्त बचा है. लेकिन बड़ी खबर ये है कि अभी तक सुपरटेक बिल्डर ने ट्वीन टावर को गिराने का कोई भी प्लान नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) में जमा नहीं किया है. जबकि सुप्रीम कोर्ट का साफ आदेश है कि 30 नवंबर तक सुपरटेक के विवादित ट्वीन टावर को गिराया जाएं. नोएडा के सेक्टर-93 में एमराल्ड योजना के तहत सुपरटेक के ये ट्वीन टावर बने हुए हैं. बिल्डर की ओर से कोई प्लान न आने पर नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक को नोटिस जारी कर दिया है. वहीं 30 नवंबर को अथॉरिटी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान ये भी बताएगी कि अभी तक ट्वीन टावर क्यों नहीं गिराए गए हैं.
नोएडा अथॉरिटी इस मामले में नहीं देगी एक्सट्रा टाइम
नोएडा अथॉरिटी ट्विन टावर मामले में किसी तरह का अतिरिक्त समय बिल्डर को नहीं देने का प्लान पहले ही तैयार कर चुकी है. सूत्रों के मुताबिक बिल्डर की ओर से अब तक किए गए कार्यों की जानकारी देने के बाद अथॉरिटी खुश नहीं है. करीब दो माह में ट्विन टावर गिराने के मामले में अब तक कोई स्पष्ट राय नहीं बन पाई है. अथॉरिटी की ओर से इस मामले में कई बार बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अब तक कार्ययोजना पेश नहीं हुई.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर नोएडा अथॉरिटी, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई), सुपरटेक के अलावा तीन एजेंसियां और सलाहकार टीम दिन-रात इस पर काम कर रहे हैं कि ट्विन टावर को किस तकनीक की मदद से गिराया जाए. लेकिन अब तक टावर गिराने की किसी भी एक तकनीक पर अमल करने का प्रस्ताव तैयार नहीं हुआ है. टीम का कहना है कि अगर ब्लास्ट तकनीक से ट्वीन टावर गिराया जाता है तो आसपास की इमारतों को खतरा होगा. इसमें सबसे नजदीकी छह इमारतें 33 मीटर के दायरे में हैं, जिन्हें सबसे ज्यादा खतरा होने की आशंका जताई जा रही है.
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ट्वीन टावर तोड़ने से पहले होंगे एनडीटी और जीपीआर टेस्ट
यह होता है एनडीटी टेस्ट-
एनडीटी मतलब नन-डिस्ट्रक्टिव टेस्टिंग. इस टेस्ट में किसी भी बिल्डिंग के साथ किसी वस्तु की मजबूती जांची जाती है. इसके अलावा यह किस मैटेरियल से बना हुआ है और कहां-कहां से जुड़ा हुआ है, इसका पता लगाया जाता है. इसके अलावा इसे तोड़ने के लिए कितनी ताकत का इस्तेमाल किया जाएगा इसका पता भी इसी टेस्ट में लगता है. इसकी खासियत यह है कि इसमें वस्तु को बिना नष्ट किए आवश्यक जानकारी हासिल की जाती है.

यह होता है जीपीआर टेस्ट-
जीपीआर मतलब ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार. इस तरह के टेस्ट में एक तरीके से जमीन के अंदर का एक्सरे किया जाता है. एक तय गहराई तक जमीन के अंदर कौनसी वस्तु है और वो कहां-कहां है. उस खास जगह पर जमीन के अंदर से होकर क्या गुजर रहा है. जीपीआर टेस्ट से जमीन ही नहीं कंक्रीट के अंदर की वस्तुओं का भी पता लगाया जा सकता है. इसकी मदद से यह भी पता चल जाता है कि जमीन के नीचे से कितनी पाइप लाइन और तार गुजर रहे हैं.पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi. हमें Facebook, Twitter, Instagram और Telegram पर फॉलो करें.Tags: Noida Authority, Supertech Twin Tower case, Supreme court of india



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