हरिकांत शर्मा/आगरा: डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है. मौत के मुंह से अपने मरीज को निकाल कर वह नया जीवन देता है.समय के साथ-साथ इस पेशे में कई कठिनाई सामने आई. भयंकर कोरोना काल में हमने डॉक्टरों का लोहा माना. उनकी इंपोर्टेंस समझ में आई. डॉक्टर डे स्पेशल में हम आपको आगरा एसएन मेडिकल कॉलेज कैंसर डिपार्टमेंट में कार्यरत विभाग अध्यक्ष डॉ. सुरभि गुप्ता की कहानी बताने जा रहे हैं. जिन्होंने कैंसर जैसी घातक बीमारी से हजारों लोगों को मौत के मुंह से बाहर निकाला है.
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जानसठ कस्बे से एसएन मेडिकल कॉलेज तक का सफर तय करने वाली डॉक्टर सुरभि गुप्ता का जीवन चुनौतियों से भरा हुआ रहा है. सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली सुरभि गुप्ता की शुरुआती पढ़ाई जानसठ कस्बे केसरस्वती विद्या मंदिर से हुई. पिता ओम प्रकाश गुप्ता मलेरिया इंस्पेक्टर, माता टीचर थी. मां की इच्छा थी कि उनकी बेटी लोगों की सेवा करें.
मां के सपने की खातिर बन गयी डॉक्टरमां उमा चाहती थी कि उनकी बेटी डॉक्टर बने. मां के सपने की बदौलत वह मेडिकल फील्ड में आई. 12वीं की पढ़ाई के बाद 1993 में एसएन मेडिकल कॉलेज का रुख किया. 1999 में इंटर्नशिप की 2002 में MD पास आउट हुई और मेडिकल प्रैक्टिस के लिए दिल्ली सफदरजंग चली गई. जहां उन्होंने 3 साल तक मरीजों की सेवा की.
मरीजों की सेवा के लिए वापस लौटी SN2006 में सुरभि फिर से एसएन मेडिकल कॉलेज लौटी और तब से लेकर अब तक कैंसर डिपार्टमेंट में लाखों मरीजों का इलाज कर चुकी हैं. कैंसर डिपार्टमेंट को मौत का डिपार्टमेंट माना जाता है. कैंसर का नाम सुनते ही मरीज जीने की उम्मीद खो बैठता है. चारों तरफ से हताश निराश होकर मरीज जब एसएन के कैंसर डिपार्टमेंट में पहुंचता है तो डॉक्टर सुरभि गुप्ता उनमें फिर से जीने की एक उम्मीद जगाती है. सुरभि बताती हैं कि कई मरीज स्ट्रेचर पर आते हैं और अपने पैरों पर खड़े होकर जाते हैं. कईयों की उम्मीद बिल्कुल टूट चुकी होती है ,क्योंकि कैंसर इतनी घातक बीमारी जो है. कैंसर का नाम सुनते ही लोगों जीने की उम्मीद खो बैठते हैं.
डॉक्टर और मरीजों के विश्वास को कभी खोने मत दीजिएडॉ. सुरभि गुप्ता का कहना है कि सीमित संसाधनों से सरकारी हॉस्पिटलों में कैंसर जैसे मर्ज का इलाज करना पड़ हैं. सुरभि गुप्ता का कहना है कि मरीजों से कई बार भावनात्मक तरीके से जुड़ना होता है. सरकारी अस्पताल में कई चैलेंज होते हैं. कम खर्चे में इलाज करना होता है. सरकारी अस्पताल आने वाले मरीजों के आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं होती है.डॉक्टर डे के मौके पर बस यही कहना चाहूंगी कि पेशेंट अपने डॉक्टर पर भरोसा रखें. डॉक्टर को उसका का काम करने दे .डॉक्टर और मरीज का रिश्ता एक विश्वास पर टिका होता है. उस विश्वास को कभी खोने मत दीजिए.
.Tags: Agra news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : July 01, 2023, 23:13 IST
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