सर्वेश श्रीवास्तव/अयोध्या. सनातन धर्म की पूजा पाठ में आपने अक्सर देखा होगा प्रसाद के रूप में चरणामृत और पंचामृत रखा जाता है. जिस तरह मंदिर का प्रसाद ग्रहण करना शुभ और आवश्यक होता है. ठीक उसी तरह चरणामृत और पंचामृत का प्रसाद के रूप में सेवन करना भी सनातन धर्म में जरूरी माना जाता है, लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि चरणामृत और पंचामृत में क्या अंतर है. दोनों की क्या धार्मिक मान्यता है, तो चलिए आज हम आपको इस रिपोर्ट में चरणामृत और पंचामृत के बारे में बताएंगे.
दरअसल, अयोध्या के प्रकांड विद्वान पवन दास शास्त्री बताते हैं कि पंचामृत 5 वस्तुओं को मिला कर बनाया जाता है. इसमें पांच प्रकार के अमृत होते हैं, गाय का दूध, गाय का दही, गाय का घी, शक्कर और गंगाजल. इसे पंचामृत कहा जाता है. वहीं दूसरी तरफ जो केवल शालिग्राम भगवान और तुलसी से मिलकर बनाए जाते हैं उनको चरणामृत कहा जाता है. दोनों ही अमृत के समान हैं, लेकिन एक विशेष प्रकार का अमृत है. जो कई चीजों के मिश्रण से बनता है. इसके अलावा जो चरणामृत होता है वह भगवान के चरण से धोहीत होता है. चरणामृत की महिमा बहुत अपरंपार है. मां गंगा भी भगवान की चरणामृत ही हैं.
चरणामृत का अर्थ
जैसे कि नाम सुनते ही आपको अंदाजा लग गया होगा कि भगवान के चरणों का अमृत ही चरणामृत है. चरणामृत को भगवान शालिग्राम और तुलसी के पत्ते से बनाया जाता है. धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक, चरणामृत लेने का भी नियम बनाया गया है. चरणामृत को हमेशा दाएं हाथ में लेना चाहिए. चरणामृत को बनाने के लिए हमेशा तांबे के बर्तन का इस्तेमाल करना चाहिए.
पंचामृत
पंचामृत का अर्थ होता है, 5 पवित्र वस्तुओं से तैयार किया गया प्रसाद. इसमें पांच अमृत तत्व एक साथ मिलाए जाते हैं. इसका प्रयोग भगवान के अभिषेक के लिए भी किया जाता है.
(नोट: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है न्यूज़ एटिन इसकी पुष्टि नहीं करता)
.Tags: Ayodhya News, Dharma Aastha, Latest hindi news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : June 21, 2023, 15:51 IST
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